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बंधे के इस पार बसे गांव बाढ़ग्रस्त से अधिक बदहाल

बाढ़ ग्रस्त गांवों के लोग बाढ़ की पीड़ा तो झेल ही रहे हैं सबसे बुरी हालत उन गांवों के लोगों की है जो बंधे के इस पार बसे हैं। नदी के सीपेज से इस पार जो पानी एकत्र हुआ है उसने बाढ़ से भी ज्यादा खराब स्थिति पैदा कर दी है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 02 Oct 2019 11:40 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 06:19 AM (IST)
बंधे के इस पार बसे गांव बाढ़ग्रस्त से अधिक बदहाल

बस्ती: बाढ़ ग्रस्त गांवों के लोग बाढ़ की पीड़ा तो झेल ही रहे हैं सबसे बुरी हालत उन गांवों के लोगों की है जो बंधे के इस पार बसे हैं। नदी के सीपेज से इस पार जो पानी एकत्र हुआ है उसने बाढ़ से भी ज्यादा खराब स्थिति पैदा कर दी है। दुबौलिया ब्लाक के कटरिया-चांदपुर तटबंध के इस पार बसे गांवों में भीषण जलजमाव हो गया है। इन गांवों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। इन गांवों में न तो छिड़काव हो रहा है और न ही संक्रामक रोगों से बचाव के लिए कोई उपाय ही किए जा रहे हैं।

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इनमें से अधिकांश गांव सरयू नदी के तटबंध के इस तरफ व रामजानकी मार्ग के बीच में स्थित हैं। तटबंध के उस पार नदी के बढ़े जलस्तर से तटबंध के इस तरफ के कटरिया, बंजरिया, बिसुंदासपुर, खलवा,चांदपुर, दिलासपुरा जैसे दर्जनभर से अधिक गांवों में पानी के रिसाव के चलते जलजमाव हो गया है। अब जबकि नदी का जलस्तर घट रहा है तो इधर घरों के आसपास हुए गड्ढों में जमा पानी में सड़न पैदा होने लगीं है। जिसके चलते ग्रामीणों समस्याएं झेलनी पड़ रही हैं। ऐसे गांवों में फागिग और एंटी लार्वा के छिड़काव का आदेश तो है पर जिम्मेदारों ने कभी इनकी सुधि नहीं ली।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुबौलिया के अधीक्षक डा. विनोद कुमार ने कहा कि एंटी लार्वा, फागिग का रसायन, मशीन और छिड़काव करने वाला कर्मचारी अस्पताल पर मौजूद है। ग्राम प्रधानों को चाहिए कि कर्मचारी अपने गांव में ले जाएं और डीजल की व्यवस्था कर छिड़काव कराएं। दूसरी तरफ कई ग्राम प्रधानों ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी निर्देश की जानकारी ही नहीं है।


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