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सरयू नदी का जल स्तर घटने से तटबंध पर बढ़ने लगा दबाव

कटरिया-चांदपुर तटबंध पर कटरिया गांव के निकट बने ठोकर के निकट लगातार बचाव कार्य चल रहा है। खलवा चांदपुर गांव के बीच पायलट प्रोजेक्ट से होने वाला बचाव कार्य अभी नही शुरू हो पाया हैजिसको लेकर ग्रामीण आक्रोशित हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 27 Jun 2021 10:44 PM (IST)Updated: Sun, 27 Jun 2021 10:44 PM (IST)
सरयू नदी का जल स्तर घटने से तटबंध पर बढ़ने लगा दबाव

बस्ती: सरयू का जलस्तर लगातार घट रहा है। रविवार को केंद्रीय जल आयोग के अनुसार नदी 91.76 मीटर पर प्रवाहित हो रही है। जो खतरे के निशान 92.73 मीटर से 97 सेमी नीचे है। सरयू नदी का जल स्तर घटने से तटबंध पर दबाव बढ गया है, हालांकि तटबंध पूरी तरह सुरक्षित है।

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कटरिया-चांदपुर तटबंध पर कटरिया गांव के निकट बने ठोकर के निकट लगातार बचाव कार्य चल रहा है। खलवा चांदपुर गांव के बीच पायलट प्रोजेक्ट से होने वाला बचाव कार्य अभी नही शुरू हो पाया है,जिसको लेकर ग्रामीण आक्रोशित हैं।

गौरा-सैफाबाद तटबंध पर टकटकवा गांव की स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। गांव की सुरक्षा के लिए बनाया गया रिगबाध जलस्तर घटते ही क्षतिग्रस्त होना शुरू हो गया है। गांव के पश्चिम एवं पूरब रिगबाध कटान से करीब पंद्रह पंद्रह मीटर क्षतिग्रस्त हो गया है। शनिवार की रात करीब नौ बजे गांव के पूरब तरफ कटान से अफरातफरी मच गई थी। टकटकवा गांव के नौ लोगों के पास जमीन नहीं होने से अपने सामान भी सुरक्षित स्थान पर नहीं रख पा रहे हैं। ग्रामीण प्रशासन पर अनदेखी का भी आरोप लगा रहें हैं। उनका कहना है पिछले वर्ष से ही प्रशासन विस्थापित करने की बात कर रहा है, लेकिन अभी तक विस्थापन की प्रक्रिया भी नहीं शुरू हो पाई है। हर्रैया तहसीलदार चंद्रभूषण प्रताप ने बताया कि भूमिहीन परिवार के लिए जमीन चिन्हांकन की जा रही है, जल्द ही उनको विस्थापित कर दिया जाएगा।

कच्चे काम की अनिवार्यता ने बढ़ाई प्रधानों की मुश्किलें

मनरेगा के तहत गांवों का विकास करने व जाबकार्ड धारकों को रोजगार उपलब्ध कराने में नव गठित ग्राम पंचायतों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके तहत 60 व 40 के अनुपात में काम कराया जाना है। पहले 60 फीसदी कच्चा काम कराए जाने के बाद ही 40 फीसदी पक्का काम हो सकेगा।

इस साल समय से पहले बरसात शुरू हो गई, जिसके चलते कच्चा काम नहीं हो पा रहा है। बारिश के अलावा काम कराने में इस्टीमेट का अभाव व चक मार्ग पर अवैध अतिक्रमण भी बाधा बन रहा है। बिना पैमाइश के मिट्टी का काम नहीं कराया जा सकता। भारी बारिश व जलभराव के कारण चक मार्गों की पैमाइश नहीं हो पा रही है। अधिकतर चक मार्गों व कच्ची सड़कों पर पूर्व प्रधानों व सचिव ने बिना काम कराए भुगतान ले लिया है। नव निर्वाचित ग्राम प्रधानों को मनरेगा के तहत काम शुरू कराने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ रहे हैं। रामनगर की 81 ग्राम पंचायतों में से 75 में 3739 श्रमिकों द्वारा काम किया जा रहा है। वहीं सल्टौआ की 95 ग्राम पंचायतों में से 78 में ही काम चल रहा है। रामनगर के सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) आशुतोष पटेल का कहना है कि कई जगह बारिश के चलते काम नहीं हो पा रहा है।


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