संक्रमितों के बीच रहकर खुद को बचाया, बन गए नजीर
हर रोज संक्रमितों के बीच रहकर उनकी देखभाल करते हैं और खुद को भी सुरक्षित किए हैं।
जासं, बस्ती : जनपद कोरोना संक्रमण की जद में है। फिर भी मजबूत जिगर वाले चिकित्सकों और अस्पतालकर्मियों के इस जज्बे को सलाम कहिए।
महिला अस्पताल की सिस्टर इंचार्ज प्रसन्ना पांडेय मार्च से लगातार ड्यूटी कर रही हैं। इनकी आयु 58 वर्ष से अधिक है। लेकिन कार्य के प्रति उनका जज्बा व हौसला कम नहीं है। कई बार उन्हें संक्रमित गर्भवती महिलाओं के बीच रहना पड़ा। प्रसव काल में उनका समुचित देखभाल की और अपने को सुरक्षित भी रखा। बताया कि मरीजों की देखभाल के दौरान साफ-सफाई को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया था। खुद की जांच भी कराई, रिपोर्ट निगेटिव रही। कहती हैं कि यदि बचाव के साथ ड्यूटी किया जाए तो कोरोना दूर-दूर तक नजर नहीं आएगा। एक बार ऐसा मौका आया जब एक संक्रमित गर्भवती महिला को कोई छूने को तैयार नहीं हुआ तो खुद पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) किट पहनकर उसकी मदद की। भर्ती कराया, इलाज के बाद उसे कोविड-19 अस्पताल भेजवाया। कोरोना से अब डरना नहीं, लड़कर उसे भगाना है। अस्पताल में अन्य मरीजों को कोरोना से न घबराने की सीख यह दे रही हैं। कहा कि परिवार में दो बच्चे व पति हैं। ड्यूटी के बाद घर पहुंचने पर परिवार से मिलने के बजाए अलग हो जाती है। स्नान के बाद ही परिवार के बीच पहुंचती है। इसके बाद खाना बनाना और अन्य घर गृहस्थी का काम भी अच्छी तरह संभालती है। अपने परिवार को भी सर्तकता के साथ कोरोना से बचाए रखा है। पहले कोविड-19 वार्ड में ड्यूटी के बाद आइसोलेट किया जाता था। अब ऐसा नहीं है। कोरोना योद्धा के रूप में प्रसन्ना अब औरों के लिए नजीर बन गई है।