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गांव की उम्मीद बनीं रीता,चहुंमुखी विकास की आस

अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ भारत दौरे पर आईं है रीता बरनवाल रीता बरनवाल के पैतृक गांव बहादुरपुर में उल्लास का माहौल

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 11:25 PM (IST)Updated: Mon, 24 Feb 2020 06:05 AM (IST)
गांव की उम्मीद बनीं रीता,चहुंमुखी विकास की आस
गांव की उम्मीद बनीं रीता,चहुंमुखी विकास की आस

बस्ती:

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ भारत दौरे पर आईं टाप सीक्रेट टीम की सदस्य भारतीय मूल की अमेरिकी परमाणु ऊर्जा विभाग की प्रमुख रीता बरनवाल की उपलब्धि पर पारिवारिक सदस्यों के साथ ही पूरा गांव इतरा रहा है। गांव वालों को उम्मीद है मोदी और ट्रंप की दोस्ती में हो सकता है बिटिया की नजर पैतृक गांव की ओर पड़ जाए और गांव का भला हो जाए। वैसे तो गांव में सड़क, बिजली और पानी की सुविधा है लेकिन लोगों का पुश्तैनी कारोबार समाप्त हो गया है। इसे नए सिरे से खड़ा करने के लिए तकनीकी ज्ञान के साथ 24 घंटे बिजली और वित्तीय सहायता की जरूरत है।

हम बात कर रहे हैं रीता बरनवाल और उनके पैतृक गांव बहादुरपुर की। इनकी पैदाइश और शिक्षा भले ही अमेरिका में हुई लेकिन इनके पिता कृष्णचंद्र बरनवाल ने प्राथमिक शिक्षा इसी गांव में प्राप्त की। आठ किमी दूर कलवारी में आठवीं तक और इंटर की शिक्षा बस्ती के सक्सेरिया इंटर कालेज से ग्रहण किया। बीएससी और एमएससी की शिक्षा इलाहाबाद से प्राप्त की थी। गांव की कुल आबादी 2500 है।

कपड़ा उद्योग से थी गांव की पहचान

तीन दशक पहले तक गांव में घर-घर कपड़े तैयार किए जाते थे। बुनाई, रंगाई से लेकर छपाई तक का सारा कार्य गांव में ही होता रहा। समय के करवट का पहिया घूमा कच्चे माल महंगे और पहुंच से दूर होते गए। सामान की अनुपलब्धता व तैयार कपड़ों की बिक्री के लिए बाजार का अभाव बढ़ा तो इस पुश्तैनी कारोबार से लोग मुंह मोड़ने लगे। धीरे-धीरे यहां के कारीगर लुधियाना, पंजाब व नेपाल में चले गए और वहां अपने पुश्तैनी कला को जिदा किए हुए है। गांव के गौरव बरनवाल, संजय सिंह, हेमंत चौरसिया,अभिषेक श्रीवास्तव, जर्नादन लाल ने बताया गांव में छपाई कारखाना कई लोगों ने स्थापित किया लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते यह लोग सफल नहीं हुए। सबसे बड़ी समस्या पर्याप्त बिजली न मिल पाने की रही। गांव में पुश्तैनी कारोबार को फिर से स्थापित कर दिया जाए तो बेरोजगारों को रोजगार मिल जाएगा और गांव में फिर से खुशहाली आ जाएगी।

पूरे दिन लगा रहा बधाई देने वालों का तांता

रविवार को भी रीता बरनवाल के पैतृक आवास पर ताई जानकी देवी,चचेरे भाई ईश्वरचंद बरनवाल और भतीजा गौरव को बधाई देने वालों का दिनभर आना जाना लगा रहा। घर परिवार के अलावा पूरे गांव के लोग रीता बरनवाल के आने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। रीता बरनवाल की चचेरी बहन ममता बरनवाल को जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनके भारत आने की खबर मिली तो वह बच्चों के संग वाराणसी से रविवार की सुबह बहादुरपुर पहुंच गई। अतीत के पन्नों से पुरानी यादों को साझा करते हुए बताया रीता व सीमा घर में बने पकवानों के प्रति काफी आकर्षित रहती थीं।


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