नौवीं के दिन बैठी ताजिया, निकला अलम का जुलूस
पुरानी बस्ती में तासा के साथ निकला जुलूस
बस्ती : मोहर्रम के नौवीं के दिन इमाम हुसैन एवं इमाम-ए-हसन की याद में सभी चौक पर ताजिया बिठाई गई। शहर के गांधीनगर और पुरानी बस्ती में ताबूत और अलम का जुलूस निकला। इस दौरान इमाम हसन और उनके साथ जंग में शहीद होने वालों को शिद्दत से याद किया गया। रास्ते भर तासा और नगाड़ा बजा। नियाज और फातिया पढ़ा गया। पुरानी बस्ती क्षेत्र के दर्जन भर चौक पर परंपरागत ताजियादारों ने सजी-धजी आकर्षक ताजिया रखा। शुक्रवार को दसवीं मोहर्रम पर जुलूस निकालकर कर्बला में ताजिया और तुरबत दफन किया जाएगा। इधर गांधीनगर क्षेत्र में भी नौवीं मोहर्रम पर सोगवारों ने हम शक्ले पैगंबर हजरत अली अकबर की याद में जुलूस निकला। सिया समुदाय के लोगों ने मातम मनाया। जुलूस मुख्य मार्ग से होता हुआ इमामबाड़ा शाबान मंजिल पहुंचा। यहां से एसबीआइ गली से होते हुए हुसैन मस्जिद पर पहुंचकर समाप्त हुआ। सोगवार ताबूत व अलम उठाए हुए थे। मौलाना मोहम्मद हैदर खां ने मजलिस में कहा कि ताबूत इस बात का प्रतीक है कि अगर हम कर्बला के मैदान में पहुंच पाते तो इमाम और उनके साथियों का ताबूत जरूर उठाते। यजीदियों ने उन्हें बिना कफन-दफन के छोड़ दिया था। हजरत अली अकबर की लहजा पैगंबरे-इस्लाम के हम शक्ल थे। इमाम हुसैन अपने इस बेटे को बहुत चाहते थे। सुहेल हैदर, शीराज हैदर, मो. रफीक, सोनू, जैन, साजिद, साबिर, शमसुल हसन, शेर अली, डा. बीएच रिजवी, मो. असलम रिजवी, नजफी, आसिफ, मोनू, जावेद, हाजी अनवार काजमी, शम्स आबिद, शानू, अन्नू, तकी हैदर, नकी हैदर, मुन्ने, आले मुस्तफा, मौलाना अली हसन, जर्रार हुसैन मौजूद रहे।