जलाशय संरक्षण से ही सुखमय जीवन
बस्ती : बगैर जल के सृष्टि नही। प्रकृति ने जल, जंगल और जमीन तीनों दिया है। इन्हीं के सहारे जीवन है। म
बस्ती : बगैर जल के सृष्टि नही। प्रकृति ने जल, जंगल और जमीन तीनों दिया है। इन्हीं के सहारे जीवन है। मगर ¨जदगी के आधार को हम भूलते जा रहे है। जमीन की भूख में जल को नुकसान पहुंचा रहे है। जलाशय गायब हो जा रहे है। आबादी बढ़ रही है। तालाब, पोखरे के भू-खंड में आलीशान इमारत बन रही है। मगर प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रही है। यही हाल रहा तो इमारतों को कौन कहे, ¨जदगी में चमक नहीं रहेगी साहब। आइए, सभी मिलकर संकल्प लें, धरती पर जल सबसे पहले बचाएंगे। मिटने नहीं देंगे पुरखों के दिए हुए जलाशय का अस्तित्व, तभी बात बनेगी वरना बूंद-बूंद पानी को तरस जाएंगे। पानी के लिए लाइन लगानी पड़ेगी। अपने शहर में ऐसा ही हुआ है। पुराने तालाब, पोखरे अतिक्रमण के शिकार हो गए। जलाशयों के भू-खंड में आबादी बसती जा रही है। मड़वानगर और भटोलवा के बीच लैबुड़ा ताल पर कब्जा जारी है। प्रशासन यहां हाथ रखने को राजी नहीं। कटेश्वर पार्क के पास भुजैनी पोखरा भी खत्म होने के कगार पर है। चइयाबारी पोखरा पाट लिया गया है। तुरकहिया-महरीखांवा के बीच स्थित पांडेय पोखरा अब जलाशय नहीं कालोनी के नाम जाना जा रहा है। रेलवे स्टेशन के निकट महदेव ताल का भी अस्तित्व मिटने की ओर है। इन जलाशयों को नुकसान पहुंचाने से जलस्तर घट गया है। घरों में पानी का संकट गहरा गया है। नल से पानी नहीं निकल रहा है। टंकी में पानी भरने में समय दो से तीन गुना लग रहा है। जल संकट का संकेत घर-घर मिल रहा है। अब यदि जागरूकता नहीं आई तो सभी को पानी की समस्या से जूझना पड़ेगा।
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भरेंगे जलाशय, बचाएंगे पानी
दैनिक जागरण के जल बचाओ- कल बचाओ अभियान से शुक्रवार को भी लोग जुड़े रहे। युवाओं जलाशयों के संरक्षण का संकल्प लिया। तालाब, पोखरे बचाने को अब लोग आगे आना शुरू कर दिए हैं। सलिल कुमार श्रीवास्तव, राना विनय प्रताप ¨सह, मनोज कुमार, सुनील कुमार, आशीष ¨सह, राज कुमार ¨सह, बंटी ¨सह, कपेंद्र प्रताप ¨सह, धीरेंद्र पांडेय, बबुन्ने पांडेय, सोनू ¨सह आदि ने कहा कि जल संरक्षण के लिए प्रत्येक नागरिक को सचेत होना होगा। घर-घर पानी को बचाया जाए। जल का अपव्यय किसी भी रूप में न करें। जलाशय पर अतिक्रमण बंद होना चाहिए। इसके लिए जागरूकता फैलाई जाएगी। इस मामले में पूर्वज ज्यादा होशियार थे। पोखरा और तालाब का निर्माण कराए थे। हम उसकी सुरक्षा नहीं कर पा रहे है। अब से संकल्प लें तभी जल संकट से बच पाएंगे।
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खेत में ही करें पानी का संग्रह
पानी बचाने के लिए किसानों को जागरूक बनना पड़ेगा। अनावश्यक ¨सचाई कर पानी का अपव्यय कतई न करें। जरूरत पर ही खेतों में पानी भरे। दूसरी बात बरसात नदियों और नहरों इधर उधर बहने वाले पानी का संरक्षण किया जाए। इसके लिए खेत में छोटे-छोटे गड्ढे तैयार किए जाएं। इसमें बरसात का पानी इकट्ठा करें। यह दो फायदा पहुंचाएगा। भू-गर्भ का जलस्तर बरकरार रखेगा। खेतों में नमी बनी रहेगी और समय पर ¨सचाई के लिए इस पानी को उपयोग भी किया जा सकता है। संजेश कुमार श्रीवास्तव, जिला कृषि अधिकारी, बस्ती।