परियोजनाएं अधूरी, कैसे आस हो पूरी.
मुख्यमंत्री जी! बस्ती जनपद आपकी पृष्ठभूमि से जुड़ा है। शायद सरकारी अमले को यह नहीं मालूम। विकास की विभिन्न परियोजनाओं में खूब मनमानी है। कहीं पुल की दरकार है तो कही एप्रोच नहीं बन पाया है। इंजीनियरिग कालेज का निर्माण अब भी अधूरा पड़ा है।
बस्ती : मुख्यमंत्री जी! बस्ती जनपद आपकी पृष्ठभूमि से जुड़ा है। शायद सरकारी अमले को यह नहीं मालूम। विकास की विभिन्न परियोजनाओं में खूब मनमानी है। कहीं पुल की दरकार है, तो कही एप्रोच नहीं बन पाया है। इंजीनियरिग कालेज का निर्माण अब भी अधूरा पड़ा है। अफसरों की कागजी बाजीगरी के चलते जनता को निराशा मिली। मुख्यमंत्री के आगमन से जनता को इन परियोजनाओं को पूरा करने की दिशा में पहल की उम्मीद जगी है। इस साल जुलाई तक कुआनो नदी पर नवनिर्मित अमहट पुल चालू हो जाना था, कितु ऐसा हो नहीं पाया। एप्रोच निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की गुत्थी सुलझाने में पीडब्ल्यूडी और निर्माण एजेंसी सेतु निगम दोनों उलझ गए हैं। 12 करोड़ की यह परियोजना डेढ़ साल बाद भी पूरी नहीं हो सकी। मनोरमा नदी पर कचूरे घाट भी इन्हीं दुश्वारियों से घिरा है। यहां 7.26 करोड़ का पुल बनकर तैयार है, लेकिन एप्रोच निर्माण न होने से आना-जाना कठिन है। नौनिहाल नाव पर बैठकर स्कूल जा रहे हैं। यह स्थिति कब तक रहेगी, इसका जवाब नहीं मिल पा रहा है। कुदरहा ब्लाक के कछुआड़ गांव में कुआनो नदी पर पुल निर्माण का इंतजार अर्से से है। पुल न बनने से ग्रामीण हर साल खुद ही लकड़ी का पुल तैयार कर आवागमन बहाल करते हैं। यहां नाव से नदी पार करते समय तीन मौत भी हो चुकी है। लालगंज क्षेत्र के खखरा अमानाबाद घाट पर 8.89 करोड़ की पुल परियोजना स्वीकृति हुई थी। वर्ष 2017 में पुल निर्माण पूरा हो गया। दो साल बीतने के बाद भी एप्रोच का कार्य यहां बाकी है। राजकीय इंजीनियरिग कालेज की परियोजना स्वीकृति हुए तीन साल हो गए। इसे मूर्त रूप लेने को कौन कहे, अभी तक भवन निर्माण पूरा नहीं हो सका है। चार दशक पूर्व स्वीकृति संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय भवन और सामुदायिक हाल के निर्माण पर दो साल से ब्रेक लग गया है। अब यह परियोजना ठंडे बस्ते में डाल दी गई है।