निजीकरण के प्रयासों के खिलाफ विद्युत कर्मियों ने भरी हुंकार
8 व 9 जनवरी को प्रस्तावित दो दिन की राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर बनी रणनीति
बस्ती : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उप्र. के बैनर तले विद्युत कर्मियों ने धरना-प्रदर्शन कर बिजली के निजीकरण के प्रयासों का विरोध जताया।
अभियंताओं ने कहा कि सरकार निजी कंपनियों के हाथ बिजली विभाग को सौंप देना चाह रही। इससे कर्मचारियों के अलावा उपभोक्ताओं का भी शोषण होगा। इलेक्ट्रिसिटी बिल 2018 को किसी भी दशा में लागू नहीं होने दिया जाएगा। इसके विरोध में 8 व 9 जनवरी को राष्ट्रव्यापी हड़ताल होगी।
समिति के संयोजक विशाल वर्मा ने कहा कि नेशनल टैरिफ पालिसी के जनविरोधी प्राविधानों के विरोध में व्यापक राष्ट्रीय जागरण अभियान चलाया जाएगा। बताया राज्य बिजली बोर्डों का विघटन करने के लिए बनाए गए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के समय देश में बिजली वितरण क्षेत्र का कुल घाटा 23000 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इससे स्पष्ट है कि इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के विघटन का प्रयोग पूरी तरह विफल साबित हुआ है। ऐसे में प्रस्तावित बिल वापस लिया जाए। हिमांचल, केरल स्टेट की तर्ज पर यूपी में भी सभी ऊर्जा निगमों का एकीकरण कर उप्र. राज्य विद्युत परिषद निगम लिमिटेड का सर्वोच्च प्राथमिकता पर गठन किया जाना जरूरी है। अध्यक्षता अशर्फीलाल ने की। बताया निजी कंपनियों के हाथ बिजली व्यवस्था देने पर उपभोक्ता के जेब पर खर्च बढ़ जाएगा। कर्मचारी उनके अधीन हो जाएंगे, जो पूरी तरह से गलत है। सरकारी क्षेत्र विद्युत उत्पादन गृहों का उच्चीकरण किया जाए, कर्मियों का वेतन विसंगतियों का निराकरण, पुरानी पेंशन बहाल हो और नियमित कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया शुरू हो। इन मांगों को लेकर हड़ताल किया जाएगा। संगठन सचिव मनोज यादव ने कहा कि मांग पूरी होने तक संघर्ष जारी रहेगा। इस दौरान आनंद गौतम, शैलेंद्र यादव, नकुल चौधरी, शैलेष यादव, विवेक कुमार, अमर ¨सह, प्रेम प्रकाश वरुण, शिवराम, राघवेंद्र द्विवेदी, आशुतोष लाहिड़ी, अभिषेक कुमार, जितेंद्र मौर्य, राम सहाय, अली अहमद, आरएस पांडेय मौजूद रहे।