तटबंधों की सुरक्षा में लगा रहे परकोपाइन
गौरा-सैफाबाद तटबंध पर कटानरोधी उपाय शुरू
बस्ती : सरयू नदी के बहाव से क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसान भूमिहीन बनते जा रहे हैं। तटबंधों पर बनाए गए ठोकरों और स्परों को भी नदी ने नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया है। एहतियातन बाढ़ खंड विभाग ने गौरा-सैफाबाद तटबंध पर कटानरोधी उपाय शुरू कर दिए हैं। इसके लिए परकोपाइन का निर्माण किया जा रहा है। क्या है परकोपाइन।
परकोपाइन त्रिभुजाकार सीमेंट के खभों की आकृति है। सभी खंभे तार के जरिये एक दूसरे से बंधे होते हैं। इस आकृति को खड़ा कर इसके बीच में पेड़ व झाड़ झंखाड़ भर दिया जाता है। ताकि पानी का बहाव जब टकराए तो उसका वेग कम हो जाए। उस उपाय से तटबंध के कटान में कमी आ जाती है। क्या कहते हैं बिशेषज्ञ
बाढ़ विशेषज्ञ बताते हैं परकोपाइन का सरयू नदी में काम करना थोड़ा मुश्किल है। यहां कटान जमीन के ऊपरी हिस्से में न होकर 30 से 40 फीट नीचे होती है। जिससे परकोपाइन उतना प्रभावी नहीं होगी। एक परकोपाइन तैयार करने में लगभग डेढ़ लाख की लागत आ रही है। यहां 16 परकोपाइन तैयार किए जा रहे हैं। सहायक अभियंता हरिश्चंद्र ने बताया दिलासपुरा गांव के समीप कृषि योग्य भूमि व स्परों को बाढ़ के पानी से सुरक्षित करने के लिए परकोपाइन बनाया जा रहा है। लाल निशान के ऊपर सरयू
सरयू नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गुरुवार को केंद्रीय जल आयोग अयोध्या के अनुसार नदी का जलस्तर खतरा बिदु 92.73 मीटर को पार कर 92.75 मीटर पर पहुंच गया है। नदी का रुख तटवर्ती गांवों की ओर भी हो गया है। दुबौलिया क्षेत्र में तटबंध और नदी के बीच बसा सुबिकाबाबू गांव चारों तरफ से पानी से घिर चुका है। कटरिया गांव के समीप बने ठोकर पर भी दबाव बढ़ गया है। सुबिकाबाबू, बिसुनदासपुर, खजांचीपुर, भिउरा, गौरा, दिलासपुरा आदि गांवों में कृषि योग्य भूमि का कटान शुरू हो गया है।