ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित नहीं हुई एक भी परियोजना
वर्ष 2014 में आर्सेनिक, फ्लोराइड और नाइट्रेट की अधिकता वाले जिले के 27 ग्राम पंचायतों में पाइप लाइन पेयजल परियोजना शुरू की गई थी। चार साल बाद भी यह परियोजनाएं अभी पूरी तरह संचालित नहीं हो पाई हैं। इसी कारण यह अब तक ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित नहीं की जा सकी
बस्ती : वर्ष 2014 में आर्सेनिक, फ्लोराइड और नाइट्रेट की अधिकता वाले जिले के 27 ग्राम पंचायतों में पाइप लाइन पेयजल परियोजना शुरू की गई थी। चार साल बाद भी यह परियोजनाएं अभी पूरी तरह संचालित नहीं हो पाई हैं। इसी कारण यह अब तक ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित नहीं की जा सकी हैं।
गिरते भू-जल स्तर और पेयजल में रसायनिक प्रदूषण आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट की अधिकता के कारण ग्रामीणों को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के मकसद से चार साल पहले नीर निर्मल परियोजना शुरू हुई थी। शुद्ध एवं सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने, व्यक्तिगत साफ सफाई एवं पर्यावरण को स्वच्छ रखने के उद्देश्य से पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय भारत सरकार की ओर से विश्व बैंक सहायतित नीर निर्मल परियोजना के तहत पूर्वांचल के 10 जिलों का चयन किया गया था। इसमें बस्ती जिले को भी शामिल किया गया था। इसके बाद चयनित सभी ग्राम पंचायतों में नीर निर्मल परियोजना पर काम शुरू हुआ। चार साल बाद सभी परियोजनाएं पूरी नहीं हो सकी हैं। कई जगहों पर पाइपलाइन बिछाने के साथ ही विद्युत कार्य अपूर्ण है। रामनगर विकास खंड के साऊंघाट विकास खंड के खुटहना, रामनगर के बड़ोखर, शेखापुर चक दोस्त, कुदरहा के गाना, छरदही आदि में पाइप लाइन बिछाने का कार्य अधूरा पड़ा है। कमोबेश यही स्थिति अन्य परियोजनाओं की है। अभी भी इन परियोजनाओं में महज टे¨स्टग का काम ही चल रहा है।
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नीर निर्मल की एक भी परियोजना ग्राम पंचायतों को हस्तांतरित नहीं हुई है। कुछ स्थानों पर बिजली का कनेक्शन नहीं मिल पाया है तो कहीं पाइप लाइन अधूरी है। काम शीघ्र पूरा कर उन्हे हस्तांतरित करने का निर्देश दिया गया है।
नीरज श्रीवास्तव,जिला विकास अधिकारी, बस्ती।