औद्योगिक क्षेत्र में भी आग से बचाव के उपाय नहीं
संचालित हो रही पौने दो सौ फैक्ट्रियां असुरक्षित
बस्ती : भगवान करे कभी अनहोनी न हो। लेकिन यदि आग की चिगारी निकली तो बस्ती के औद्योगिक क्षेत्र की सुरक्षा खतरे में पड़नी तय है। यहां आग से बचाव के कोई उपाय नहीं दिखते। कल कारखानों में अग्निकांड से निपटने के लिए जरूरी संसाधन तक नहीं है। इसकी फिक्र न तो संचालकों को है और न ही अग्निशमन विभाग को।
जनपद के सबसे बड़े औद्योगिक क्षेत्र प्लास्टिक कांपलेक्स में अग्निकांड जैसी आपदा से निपटने के लिए कोई सतर्कता नहीं है। यहां छोटे-बड़े उद्योग के लिए 190 भूखंड आवंटित है। वर्तमान में पौने दो सौ फैक्ट्रियां चालू हालत में है। इसमें एक दर्जन राइसमिल, दो फ्लोर मिल, एक दफ्ती मिल, दर्जन भर ब्रेड, रस, और नमकीन बनाने के कारखाने हैं। इन कारखानों में आग लगने की गुंजाइश भी रहती है। लेकिन सजगता कहीं पर नहीं है। यह हाल तब है जबकि उद्यम स्थापित करते समय ही इस आपदा से निपटने के आवश्यक उपाय सुनिश्चित करना अनिवार्य रहता है।
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टूटी हैं सड़कें, पानी का इंतजाम नहीं
विभिन्न ब्लाकों में रचे बसे इस औद्योगिक क्षेत्र की सड़कें इमरजेंसी में फर्राटा भरने लायक नहीं हैं। यहां की सड़कें टूटी हैं। आग लगने पर अग्निशमन वाहन समय से नहीं पहुंच पाएंगे। समूचे क्षेत्र में कहीं पानी का टैंक भी नहीं है।
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यह है जरूरी संसाधन
कारखानों में आग से बचाव के लिए पानी का टैंक, होज रील, फायर एक्यूवमेंट, बड़े वाहनों के आने-जाने का भरपूर रास्ता होना सबसे जरूरी है। लेकिन यह सिर्फ नियमावली में है।
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आग से बचाव के संसाधन कल कारखानों में बहुत आवश्यक है। यहां तक कि घरों और दुकानों में भी सजगता बरतनी चाहिए। बचाव कार्य के लिए आम लोगों का जागरूक भी होना आवश्यक है।
-रंजीत रंजन, आपदा विशेषज्ञ।
एवं यूपीएसआइडीसी