मासूम के दिल में छेद, इलाज में बाधा बनी मुफलिसी
एक पिता की लाचारी कहें या कहें बेबसी चाहें कह लें गरीबी मासूम के इलाज के लिए मुकम्मल व्यवस्था नहीं कर अपने मासूम के मुकम्मल इलाज को पिता लाचार है। मुफलिसी ने पिता की हिम्मत तोड़ दी है। मासूम के दिल में छेद है और इलाज में गरीबी बाधा बन गई है। कुछ ऐसी ही कहानी है शहर के पांडेय बाजार निवासी सत्येंद्र की। बाधा
बस्ती : अपने मासूम के मुकम्मल इलाज को पिता लाचार है। मुफलिसी ने पिता की हिम्मत तोड़ दी है। मासूम के दिल में छेद है और इलाज में गरीबी बाधा बन गई है। कुछ ऐसी ही कहानी है शहर के पांडेय बाजार निवासी सत्येंद्र की।
इनकी पांच साल की बिटिया माही को जन्मजात दिल की बीमारी है। इधर कुछ दिनों से माही बिस्तर पकड़ ली। पिता के आमदनी का जरिया सिर्फ मजदूरी है। दिन भर की दिहाड़ी से परिवार की भूख भर मिट पाती है। फिर भी पिता ने माही को इलाज के लिए जिला अस्पताल तक पहुंचाया। यहां दो दिन भर्ती करने के बाद मेडिकल कालेज लखनऊ के लिए रेफर कर दिया गया। पिता के पास इतने भी पैसे नहीं कि माही को लेकर लखनऊ पहुंच जाए। विवशता में पिता के मासूम के साथ घर चला गया। अब माही की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है। इकलौते संतान की बिगड़ी हालत देख सत्येंद्र मायूस है। इस गरीब की चौखट पर आयुष्मान कार्ड भी नहीं पहुंचा है।
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तीन दिन पहले गई थी आरबीएसके टीम : सूचना के बाद मरवटिया आरबीएसके टीम तीन दिन पहले पीड़ित के घर गई थी। जरूरी कागजात नहीं मिल सका। पिता ने कागजात उपलब्ध कराने के लिए सोमवार तक का समय मांगा है।
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आरबीएसके योजना में निश्शुल्क मिलेगा इलाज : आरबीएसके मरवटिया टीम की मुखिया डा. स्मिता ने कहा, राशन कार्ड, आधार कार्ड व स्कूल का पंजीकरण नंबर मिलते ही बच्ची को केजीएमसी में भेजकर निश्शुल्क इलाज की सुविधा दिलाई जाएगी।
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टीम पीड़ित के घर गई थी। जरूरी अभिलेख न मिलने पर माही को इलाज के लिए बाहर नहीं भेजा जा सका है।
डा. सीके वर्मा, डिप्टी सीएमओ