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जोड़ों का दर्द दिल पर भी डालता है असर

इसे ओल्ड एज आस्टियो आर्थराइटिस कहते हैं। यह अक्सर बड़े जोड़ों एवं रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। अत्यधिक प्रभाव घुटने के जोड़ों पर पड़ता है। घुटने में सूजन दर्द जोड़ों में जकड़न एवं चलने-फिरने में कठिनाई होती है। मरीज को चलने के लिए लाठी डंडे का सहारा लेना पड़ता है। फिजियोथेरेपी से काफी लाभ मिलता है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Oct 2021 11:50 PM (IST)Updated: Tue, 12 Oct 2021 11:50 PM (IST)
जोड़ों का दर्द दिल पर भी डालता है असर

बस्ती : जोड़ों का दर्द यदि लंबे समय तक रहे तो दिल पर भी असर डालता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गो तक, सभी इससे प्रभावित हो सकते हैं। बीमारी के लक्षण दिखते ही सतर्क हो जाना चाहिए।

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यह बातें महर्षि वशिष्ठ मेडिकल कालेज बस्ती के प्रोफेसर एवं हड्डी रोग के विभागाध्यक्ष डा.रहमत अली ने सोमवार व मंगलवार को ओपीडी में मरीजों को जागरूक करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि हर साल 12 अक्टूबर को लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए विश्व आर्थराइटिस (गठिया) दिवस मनाया जाता है। बच्चों में होने वाले गठिया की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इसे रूमेटिक आर्थराइटिस कहते हैं। यह सात साल से 14 साल तक के बच्चों में होता है। शुरुआत में गले में खराश, खाना खाने एवं पानी पीने में परेशानी होती है। साथ में बुखार भी आता है जिसे रूमेटिक फीवर कहते हैं। इस गठिया में शरीर के बड़े जोड़ों जैसे घुटनों पर असर होता है। घुटनों में सूजन, दर्द, मोड़ने-फैलाने में दर्द होता है। इलाज न होने की दशा में दिल पर भी असर पड़ता है एवं दिल के वाल्व को खराब करता है।

इसी तरह एंकाइलोसिंग स्पांडलाइटिस भी गठिया का एक प्रकार है जो पुरुषों को प्रभावित करता है। यह ज्यादातर 20 वर्ष से 40 वर्ष की आयु में होता है। शरीर के बड़े जोड़ों जैसे कोहनी, घुटनों के साथ ही साथ रीढ़ की हड्डी पर असर डालता है। जोड़ जाम हो जाते हैं। चलने-फिरने में दिक्कत होती है। जोड़ों में सूजन एवं दर्द होता है। जाड़े के दिनों में तकलीफ अधिक बढ़ जाती है। इलाज के साथ ही फिजियोथेरेपी करानी चाहिए। पेट साफ रखना चाहिए।

महिलाओं में होने वाला गठिया

इसे रूमेटाइड आर्थराइटिस कहते हैं। यह बीमारी अधिकतर 15 से 30 वर्ष की महिलाओं में होती है। छोटे जोड़ों जैसे कलाई एवं अंगुलियों के जोड़ों पर असर डालती है। अंगुलियां एवं कलाई अक्सर सुबह के समय सूज जाते है। दर्द एवं जोड़ों में जकड़न होने लगती है जिससे घरेलू कामकाज प्रभावित होता है। समय पर सही इलाज न होने पर हाथ एवं पैर की हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं। अनेक प्रकार की दिव्यांगता उत्पन्न हो जाती है।

बुढ़ापे में होने वाला गठिया

इसे ओल्ड एज आस्टियो आर्थराइटिस कहते हैं। यह अक्सर बड़े जोड़ों एवं रीढ़ की हड्डी को प्रभावित करता है। अत्यधिक प्रभाव घुटने के जोड़ों पर पड़ता है। घुटने में सूजन, दर्द, जोड़ों में जकड़न एवं चलने-फिरने में कठिनाई होती है। मरीज को चलने

के लिए लाठी, डंडे का सहारा लेना पड़ता है। फिजियोथेरेपी से काफी लाभ मिलता है।


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