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सौ फीसद धन खर्च के बाद भी निर्माण अधूरा

बस्ती : समाज कल्याण निर्माण निगम के खेल निराले हैं। परशुरामपुर विकास खंड के नरायनपुर गांव में निर्म

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 11:26 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jun 2018 11:26 PM (IST)
सौ फीसद धन खर्च के बाद भी निर्माण अधूरा

बस्ती : समाज कल्याण निर्माण निगम के खेल निराले हैं। परशुरामपुर विकास खंड के नरायनपुर गांव में निर्माणाधीन पशु चिकित्सालय के वर्ष 2018 में चालू होने पर ग्रहण लग गया है। स्वीकृत लागत 6.51 करोड़ के सापेक्ष कार्यदायी संस्था ने सौ फीसद रकम खर्च कर दिया है। जबकि कार्य 70 फीसदी ही पूरा हो पाया है। निर्माण की चल रही कच्छप गति देख कर इसके जून में भी पूरा होने के आसार नहीं दिखायी दे रहे हैं। भवन निर्माण में भी गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। वर्ष 2015 में स्वीकृत पालीक्लीनिक भवन का पशुओं के ओपीडी व वार्ड वाले हिस्से का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। खिड़की फाटक लगाने के साथ रंग रोगन का काम कराया गया है। कर्मचारियों के लिए बनाए जा रहे आवासों में दरवाजे व खिड़कियों का काम अधूरा है। मौके पर काम भी बंद है। भवन का निर्माण मार्च 2017 तक पूरा किया जाना था। जब पूरा नहीं हो पाया तो बाद में इसे बढ़ा कर जून 2018 कर दिया गया। दूसरी बार निर्धारित समय पर निर्माण पूरा कर पाना संभव नहीं है। सड़क निर्माण में जिस ईंट प्रयोग किया जा रहा है वह भी निम्न कोटि का है। आवासीय हिस्से के भवनों का फर्श अब तक नहीं बना है। यह हाल तब है जब भवन निर्माण की गुणवत्ता की मानीट¨रग के लिए तकनीकी समिति गठित की गयी है। समिति में शामिल लोक निर्माण व ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिशासी अधिकारियों ने निर्माण कार्य का बारीकी से निरीक्षण किया और गुणवत्ता पर मुहर लगा दी। जबकि इसके अलावा पशुपालन के निदेशक स्थलीय निरीक्षण कर चुके है।

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हाईटेक संसाधनों से लैस होगी पाली क्लीनिक

पशु पालीक्लीनिक में पशुओं का इलाज विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा किया जाएगा। इसकी खासियत यह है कि यहां सिर्फ रेफरल केस ही लिए जाएंगे। पशुओं के खून, पेशाब, मल की जांच के लिए पैथालाजी की सुविधा होगी। जिसमें अत्याधुनिक मशीनों भी होंगी। यानी सब कुछ हाईटेक होगा। पशुपालक नारायण प्रकाश पांडेय, पंकज पांडेय, रामजियावन, जयप्रकाश, जुग्गी पाठक ने बताया कि पिछड़े क्षेत्र में खेती व पशुपालन ही लोगों का प्रमुख जरिया है। इससे इलाके में तरक्की की राह खुलेगी। गंभीर बीमारी के कारण पशुओं की मौत भी नहीं होगी।


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