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जिम्मेदार नहीं चेते तो और ढहेंगे सरकारी आवास

मुख्यालय के सरकारी आवास उपेक्षा का शिकार हैं। यदि सक्षम लोगों की नजरे इनायत नहीं हुई तो अभी और सरकारी आवास ढहेंगे। दीवारों और छतों की बाहर झांकती ईंटें खुद इसका संकेत दे रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Jul 2018 11:25 PM (IST)Updated: Wed, 04 Jul 2018 11:25 PM (IST)
जिम्मेदार नहीं चेते तो और ढहेंगे सरकारी आवास
जिम्मेदार नहीं चेते तो और ढहेंगे सरकारी आवास

बस्ती : मुख्यालय के सरकारी आवास उपेक्षा का शिकार हैं। यदि सक्षम लोगों की नजरे इनायत नहीं हुई तो अभी और सरकारी आवास ढहेंगे। दीवारों और छतों की बाहर झांकती ईंटें खुद इसका संकेत दे रही हैं। बरसात शुरू क्या हुई आवासीय भवनों के हर कोने पर सिलन नजर आने लगी। अंदर सीमेंट की परत उजड़ी है तो बाहर दीवारों पर झाड़-झंखाड़ और पेड़ उग आए हैं। इन्हीं भवनों में दिन काट रहे हैं कर्मचारी और उनके परिजन। इन जीर्ण-शीर्ण आवासों में कब कहां अनहोनी हो जाए कुछ भी नहीं कहा जा सकता। स्टेडियम, एडीएम आवास और तहसील भवन के बीच में स्थित आधा दर्जन आवासीय भवनों की हालत दयनीय हो चुकी है। यहां रहने वाले कर्मचारी और उनके परिजनों की दुर्गति हो रही है। किसी तरह खुद के प्रयास से लोगों ने भवन को सुरक्षित किया है। जुगाड़ के सहारे कब तक लोग रह पाएंगे। जब सबकुछ उजड़ा चमन ही है। यहां कई आवासों के आंगन में बाहर से बहकर गंदा पानी जमा होता है।

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आवास संख्या 24 हुआ जर्जर भवन गांधी कला भवन के ठीक सामने तहसील मार्ग से सटे सरकारी कालोनी का पहला आवास है 24 नंबर। यह कलेक्ट्रेट के चतुर्थ श्रेणी की महिला कर्मचारी जायत्री शुक्ला के नाम आवंटित है। इसमें उनके साथ परिवार के लोग रहते हैं। दो कमरे के मकान में दुश्वारियां अनगिनत है। भगवान भरोसे इस घर में गुजर-बसर कर रही है। जायत्री के अनुसार आंगन में सड़क पर बने सार्वजनिक शौचालय की गंदगी बहकर आती है। कई बार शिकायत हुई मगर व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हुआ। घर के अंदर स्थिति नारकीय बनी हुई है। भीतर बने शौचालय चोक हो गए हैं। पाइप टूट चुकी है। बरसात में कमरों में पानी का रिसाव होता है। जिससे घरेलू सामान खराब हो जाते है। बाहर दीवारों के प्लास्टर तक उखड़ गए है। झाड़, झंखाड़ और पौधे दीवारों में उग आए है। जायत्री ने कहा कि वह महिला है ड्यूटी करें या मकान की सुरक्षा करें।

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आवास संख्या 23 में भी रहना हुआ दूभर

यह चतुर्थ श्रेणी का आवास राज्य कर्मचारी नर¨सह कुमार मिश्र के नाम आवंटित है। उनके पुत्र आनंद किशोर मिश्र ने एक साथ कई दुश्वारियां गिनाईं और दिखाई भी। इनके आंगन में भी सार्वजनिक शौचालय की गंदगी बहकर आ रही है। जिससे घर में दुर्गंध उठती है। दीवारों और छत के ईंट बाहर झांक रहे है। बरसात के दिनों में पूरे मकान में रिसाव होता है। जगह-जगह प्लास्टर उखड़ने से कीड़े मकोड़े घर में घुस आते है। इन्हें दरकार है कि भवन की शीघ्र मरम्मत होनी चाहिए।

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सरकारी आवास में ही रहने वाली शशि मिश्रा कहती हैं कई साल हो गए इन भवनों की मरम्मत नहीं कराई गई है। रंगरोगन कार्य भी जल्दी नहीं होता है। कहने को सरकारी कालोनी है न तो सड़क की सुविधा है और न ही सुसज्जित भवन है। जर्जर भवन में हम लोग जैसे तैसे दिन काट रहे हैं। वहीं विजय पाल ने कहा कि यहां इंटरला¨कग सड़क कुछ दूर तक बनाकर उखाड़ दी गई। भवनों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लिपिक संवर्ग और चतुर्थ श्रेणी के सभी आवास जर्जर हो गए हैं।

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पीडब्लूडी से करवाई जा रही मरम्मत

मुख्यालय के अधिकतर सरकारी आवास पीडब्लूडी के हैं। कुछ पुराने आवासों का जीर्णोद्धार हो भी रहा है। अन्य आवासों की मरम्मत एवं पुर्ननिर्माण की कार्रवाई के लिए लोक निर्माण विभाग को कहा गया है।

डा. आरडी पांडेय, अपर जिलाधिकारी, बस्ती।


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