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अपने विकास का रास्ता खुद बनाती है ¨हदी

हर दौर में ¨हदी को संघर्ष करना पड़ा है। परंतु इन सबके बीच अपने विकास का रास्ता स्वयं ¨हदी ने बनाया है। आज विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हमें अपनी मातृ की विकास पर गर्व होना चाहिए। बावजूद इसके प्रचार प्रसार में लगे रहना होगा

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 11:51 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 11:51 PM (IST)
अपने विकास का रास्ता खुद बनाती है ¨हदी

बस्ती: हर दौर में ¨हदी को संघर्ष करना पड़ा है। परंतु इन सबके बीच अपने विकास का रास्ता स्वयं ¨हदी ने बनाया है। आज विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। हमें अपनी मातृ की विकास पर गर्व होना चाहिए। बावजूद इसके प्रचार प्रसार में लगे रहना होगा।

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यह बात प्रभारी जनपद न्यायाधीश मदनलाल निगम ने कहीं। वह अखिल भारतीय ¨हदी विधि प्रतिष्ठान की जिला इकाई द्वारा आयोजित ¨हदी दिवस समारोह को जनपद न्यायालय सभागार में संबोधित कर रहे थे। ¨हदी देश की अन्य भाषाओं के साथ बहन जैसा बर्ताव करती है। कतिपय राजनीतिक स्वार्थ वश तमिलनाडु में ¨हदी का विरोध हुआ था। सरकार विरोध करने वालों को पेंशन भी दे रही थी। परंतु उच्चतम न्यायालय ने इसे अनुचित मानते हुए ¨हदी विरोधियों के पेंशन को समाप्त करा दिया। जनपद न्यायालय में ज्यादातर काम ¨हदी में हो रहे है। हमें शत प्रतिशत की ओर बढ़ना है। मुख्य वक्ता किसान पीजी कालेज के प्रोफेसर रघुवंशमणि ने कहा कि गुलामी के दौर से लेकर वर्तमान समय में ¨हदी लगातार विकास कर रही है। जब ¨हदी को राजभाषा नहीं घोषित किया गया था तब भी सूर, कबीर,तुलसी, जायसी, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, महावीर प्रसाद द्विवेदी ने ¨हदी के झंडे को बुलंद कर रखा था। अंग्रेजी भाषा की तरफ इसलिए झुकाव है कि इस भाषा में रोजगार के अवसर ज्यादा है। जिस दिन ¨हदी रोजगार परक भाषा बन गई फिर यह विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा बन जाएगी। अपर जिला जज मनमीत ¨सह सूरी ने कहा कि मेरी उनकी माता गोरखपुर में 41 वर्ष तक ¨हदी पढ़ाई है। हमनें अपनी मां से सीखा है कि ¨हदी हमारी मातृ भाषा है। इसके उच्चारण में शुद्धता, सुचिता व सम्मान होना चाहिए। न्यायाधीश इला चौधरी ने कहा कि भारत बहुभाषी देश है परंतु किसी देश को महानता अपनी भाषा की समृद्धि से ही मिलती है। वरिष्ठ अधिवक्ता भारत भूषण वर्मा ने कहा कि ¨हदी को सबसे ज्यादा दक्षिण भारत में प्रचार प्रसार करने की जरूरत है। यदि दक्षिण भारत में ¨हदी के विद्वानों को बढि़या नौकरी मिले तो अपने आप भाषा विकसित हो जाएगी। वीरेंद्र नाथ पांडेय ने कहा कि न्यायालयों में अभी भी बहुत से फार्म उर्दू भाषा में है। जो समझ से परे है। इनका ¨हदी में अनुवाद होना चाहिए। कार्यक्रम को अयोध्या शुक्ल, गोपालचद्र पांडेय, अजमत अली, शशि प्रकाश शुक्ल, नियाज अहमद, अजय प्रताप ने भी संबोधित किया। संचालन ¨चता मणि पांडेय एडवोकेट ने किया। कार्यक्रम के संयोजक न्यायाधीश इरफान अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। न्यायाधीश अनिल कुमार, संजू यादव, पृथ्वी पाल यादव, अब्दुल कयूम, हर्ष अग्रवाल, मोहन लाल, मनोज कुमार, प्रदीप ¨सह, श्वेता यादव, विनय जायसवाल, कुवंर मिथलेश ¨सह, अंशुमालि पांडेय, अंबरीश त्रिपाठी, अंबरीश श्रीवास्तव, अरुण कुमार, अजय कुमार, विवेक चौधरी तथा जवाहर लाल, ईश्वर चंद्र चौधरी, प्रदीप श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव, एलएन ¨सह, संजय सोनकर, राजकुमार द्विवेदी मौजूद रहे।


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