¨हदी का विद्वान अंग्रेजी जानकार के समक्ष बौना क्यों
बस्ती: ¨हदी एक मात्र ऐसी मातृ भाषा है जो अपने घर परिवार, परिवेश में उपेक्षित है।
बस्ती: ¨हदी एक मात्र ऐसी मातृ भाषा है जो अपने घर परिवार, परिवेश में उपेक्षित है। अमेरिका, रूस, जापान सहित अनेक देशों में ¨हदी प्रतिष्ठित हो रही है,भारत में ¨हदी का विद्वान अल्पज्ञानी अंग्रेजी जानकार के समक्ष बौना क्यों। आजादी के 7 दशक बाद भी यह परि²श्य बदल नहीं सका है। यह बात यश भारती से सम्मानित प्रो. माता प्रसाद त्रिपाठी ने कहीं। डा. रामदल पांडेय ने ' साहित्य और राष्ट्रवाद' की विषद विवेचना करते हुये कहा कि साहित्य का अपना धर्म है और भारतीय साहित्य की वाचिक, लिखित परम्परा समृद्ध है। वरिष्ठ पत्रकार दिनेश चंद्र पांडेय ने कहा कि हिन्दी संसार में प्रतिष्ठित हो रही है। सदर विधायक दयाराम चौधरी ने कहा कि हिन्दी निरन्तर अपनी क्षमता के बूते विश्वभर में अपनी दक्षता सिद्ध कर रही है। साहित्य भूषण डा. रामनरेश ¨सह मंजुल ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि अंग्रेजी का दबदबा हैरान करता है। परिषद के अध्यक्ष राजेंद्र नाथ तिवारी ने कहा कि 'साहित्य और राष्ट्रवाद' की प्रासंगिकता सदैव बनी रहेगी। डा. रामकृष्ण लाल 'जगमग' ने अनेक प्रमुख ¨बदुओं पर चर्चा की। प्रेस क्लब अध्यक्ष विनोद उपाध्याय ने ' बस्ती मण्डल की गाथा' सुनाकर वातावरण को सरस किया। हिन्दु युवा वाहिनी जिलाध्यक्ष अजय अज्जू हिन्दुस्थानी, अजय ¨सह गौतम, भाजपा जिलाध्यक्ष पवन कसौधन, पुष्कर मिश्र, सत्येन्द्र ¨सह 'भोलू' सुभाष शुक्ल, डा. कंचन माला त्रिपाठी, महेश शुक्ल, चन्द्रभान शुक्ल विचार व्यक्त किए। गोष्ठी के दौरान प्रो. माता प्रसाद त्रिपाठी, डा. रामनरेश ¨सह मंजुल, डा. रामदल पाण्डेय, गणेश प्रसाद पाण्डेय, कैलाशनाथ दूबे, सर्वेष्ट मिश्र को हिन्दी के क्षेत्र में योगदान के लिये सम्मानित किया गया। रवि अग्रहरि की पुस्तक 'सैनिक है तो जीवन है' का विमोचन किया गया। दिवाकर मिश्र, सत्येन्द्रनाथ मतवाला, पं. चन्द्रबली मिश्र, भावेष पाण्डेय, अमरेश चन्द्रा, चन्द्रबली ¨सह, सूर्यवंशी ¨सह, गजेन्द्र ¨सह, उदयशंकर शुक्ल, मुन्ना शुक्ल, विजय कुमार द्विवेदी, चन्द्रभान शुक्ल, वृहस्पति पाण्डेय, अरविन्द शुक्ल, गोपेश पाल, शान्ति भूषण त्रिपाठी, प्रेरक मौजूद रहे। वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। वयोवृद्ध साहित्यकार भद्रसेन ¨सह बंधु को सम्मानित किया गया। बंधु ने कहा कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा न मिलना विचलित करता है। श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि ¨हदी मातृभाषा, राज्य भाषा और वैश्विक भाषा है। सत्येन्द्रनाथ मतवाला ने कहा कि हिन्दी पर विलाप वंद होना चाहिये। डा. राम कृष्ण लाल 'जगमग' ओम प्रकाशनाथ मिश्र, जगदीश प्रसाद, शिवपूजन वर्मा, राजदेव वर्मा, रहमान अली रहमान, हरीश दरवेश, मो. वसीम अंसारी, सागर गोरखपुरी, बटुकनाथ शुक्ल, आतिश सुल्तानपुरी, कलीम वस्तवी, सुमेश्वर प्रसाद यादव, पंकज कुमार सोनी, लालमणि प्रसाद, पं. चन्द्रबली मिश्र, जगदीश प्रसाद, दीनानाथ, शव्वीर अहमद, फूलचन्द चौधरी आदि ने अपनी रचनाएं पढ़ीं। दी सिटी माण्टेसरी स्कूल में हिन्दी-दिवस के अवसर पर स्कूल की दोनों शाखाओं में प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रबंधक अनूप खरे ने हिन्दी के महत्व को रेखांकित किया। प्रधानाचार्या नुपूर त्रिपाठी ने विचार व्यक्त किए। आरआरजी बालिका इंटर कॉलेज उजियानपुर में कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि सेंट्रल बैंक के शाखा प्रबंधक प्रशांत कुमार ¨सह ने उद्घाटन किया। संचालन प्रबंधक सुरेश यादव ने किया। इंद्रसेन यादव, संतोष यादव, गुड़िया, सरोज, शीलम देवी, उमेश , दिनेश चौधरी मौजूद रहे।