कम छात्रसंख्या पर गुरुजी बरी, अनुदेशक दोषी
सात हजार मानदेय वालों को थमा दी गई नोटिस
बस्ती : एक ही कार्यस्थल और बराबर का गुनाह। एक अल्प मानदेय भोगी और दूसरा नियमित वेतनभोगी। लेकिन दोषी सिर्फ अल्प मानदेय वाले। जी हां बेसिक शिक्षा विभाग में कुछ ऐसे ही न्याय बंट रहा है। कम छात्र संख्या पर संविदा अनुदेशकों पर दोष का ठीकरा फोड़ दिया गया और गुरुजी बड़े साफगोई से बच निकले। सात हजार मानदेय वाले 29 अनुदेशकों को 100 से कम छात्रसंख्या पर जिम्मेदार ठहराते हुए नोटिस थमा दी गई। अब अनुदेशक लामबंद हो रहे हैं। उनका सवाल भी जायज है। छात्रसंख्या कम होने पर उनके साथ परिषदीय शिक्षक भी बराबर के जवाबदेह हैं। ऐसे में दोषी अकेले अनुदेशक क्यों? खंड शिक्षाधिकारियों की मेहरबानी से परिषदीय शिक्षक इस मामले से बरी हैं। विभिन्न ब्लाकों के बीईओ की रिपोर्ट में 100 से कम छात्रसंख्या वाले पूर्व माध्यमिक विद्यालय चिह्नित किए गए हैं। इसमें अकेले अनुदेशकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर रुधौली, बहादुरपुर, सल्टौआ, कुदरहा, विक्रमजोत और बहादुरपुर के 29 अनुदेशकों को नोटिस मिली है। एक तरफा कार्रवाई से खफा अनुदेशक ब्लाक स्तरीय अधिकारियों पर शोषण तक का आरोप लगा रहे हैं। उनकी मानें तो केवल संविदा अनुदेशकों से छात्र संख्या की अपेक्षा रखना नाइंसाफी है। इसमें परिषदीय शिक्षकों की भी अहम भूमिका है।
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क्या है परियोजना का आदेश
राज्य परियोजना निदेशक डा. वेदमणि मिश्र के स्तर से 8 फरवरी 2019 को जारी आदेश में कहा गया है कि उच्च प्राथमिक विद्यालयों में छात्रसंख्या बढ़ाने के कार्य में अंशकालिक अनुदेशक प्रधानाध्यापकों का सहयोग करेंगे। यदि छात्र संख्या गत वर्ष से कम हुई है तो मुख्य कारण का पता लगाते हुए संबंधित बीएसए प्रधानाध्यापक को नोटिस जारी कर सकते हैं।
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अनुदेशकों को 100 से अधिक छात्रसंख्या वाले स्कूलों पर तैनात किया गया था। शासन की मंशा के अनुरूप उनका प्रदर्शन नहीं दिखा। छात्र संख्या पहले से कम हो गई। उनकी सजगता के लिए नोटिस दी गई है।
अरुण कुमार, बीएसए।
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