Move to Jagran APP

बहरा बना देगा पटाखों का धमाका, करें परहेज

दीपावली में पटाखों का धमाल सेहत पर भारी पड़ सकता है। सिलसिलेवार तेज धमाका होने से ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है। कभी-कभी तो पटाखों की गूंज श्रवण शक्ति को भी बाधित कर देती है। तीव्र ध्वनि के पटाखों से परहेज ही समझदारी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 11:42 PM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 11:42 PM (IST)
बहरा बना देगा पटाखों का धमाका, करें परहेज

बस्ती : दीपावली में पटाखों का धमाल सेहत पर भारी पड़ सकता है। सिलसिलेवार तेज धमाका होने से ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है। कभी-कभी तो पटाखों की गूंज श्रवण शक्ति को भी बाधित कर देती है। तीव्र ध्वनि के पटाखों से परहेज ही समझदारी है।

loksabha election banner

ध्वनि प्रदूषण का मासूमों पर सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। बच्चे अक्सर पटाखों के करीब रहते हैं। पटाखों से निकलने वाली ध्वनि सीधे उनके कान में पहुंचती है। तीव्रता अधिक होने पर कान के परदे पर बल पड़ता है। निश्चित पैरामीटर के ध्वनि में निर्मित पटाखों का उपयोग होना चाहिए। अक्सर पटाखों की गूंज से दुर्घटना का लोग शिकार बनते हैं। इस बार दीपावली में पटाखों की जगह सजावट, फूलों की वर्षा एवं अन्य इंतजाम किए जाएं। पटाखों के तेज धमाकों से अचानक ध्वनि प्रदूषण बढ़ जाता है। श्रवण शक्ति कमजोर होती है। यदि इससे बच गए तो तीव्र ध्वनि मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है। छोटे बच्चे ध्वनि की अत्यधिक तीव्रता के शिकार बन जाते हैं। तेज ध्वनि कान के परदे से सीधे टकराती है तो उनके कान का परदा फट सकता है। वह बहरेपन का शिकार हो सकते हैं। फुसफुसाहट वाली आवाज 30 डेसिबिल में होती है। सामान्य बातचीत हम 60 डेसिबिल की ध्वनि में करते हैं। जब किसी को तेज आवाज में डांटते हैं तो अमूमन यह 90 डेसिबिल की ध्वनि उत्पन्न होती है। इसके बाद 130 डेसिबिल तीव्रता वाली ध्वनि कान में दर्द पैदा कर देती है। इससे अधिक तीव्रता की ध्वनि से कान का परदा फट जाता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.