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बेर की बगिया में 'रोजगार की किलकारी'

ओमप्रकाश के मुताबिक पहले साल एक पेड़ से लगभग 20 से 25 किलोग्राम फल मिलने की संभावना है। अगले सीजन में पेड़ जब और विकसित होंगे तो पैदावार बढ़कर 75 किलो से एक क्विंटल तक हो जाएगी। इस प्रजाति के बेर की कीमत फुटकर में 90 और थोक में 70 रुपये प्रति किलोग्राम है। पहली बार कम पैदावार होने और पेड़ों की रोपाई में खर्च होने के नाते मुनाफा कम आता है लेकिन दूसरी पैदावार से आमदनी बढ़ जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 11:22 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 11:22 PM (IST)
बेर की बगिया में 'रोजगार की किलकारी'

बस्ती: कुछ करने की सोच और हौसला हो तो फिर सफलता की मंजिल आप से दूर नहीं रह सकती। ऐसी ही राह पर चलकर कप्तानगंज विकास क्षेत्र के परिवारपुर गांव के ओमप्रकाश मौर्य ने कलकतिया बेर की बगिया लगाई तो यहां 'रोजगार की किलकारी' गूंजने लगी है। मैदानी एवं सामान्य तापमान वाले इलाके में कश्मीरी सेब के मानिद नए प्रजाति का बेर अभिनव प्रयोग साबित हो रहा है।

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स्नातक की पढ़ाई के बाद नौकरी में असफल हुए ओमप्रकाश खेती के साथ ही कप्तानगंज कस्बे में ग्राहक सेवा केंद्र चलाने लगे। इंटरनेट के जरिये खेती के तौर-तरीके सीखने की जिज्ञासा हुई। बेर की खेती का प्रयोग देखा तो उन्हें भाया। कोलकाता की एक एजेंसी से संपर्क साधा। वहां की नर्सरी से कश्मीरी रेड एप्पल प्रजाति के बेर के 160 पौधे मंगवाए। डेढ़ बीघा खेत में इसकी रोपाई की। आठ महीने में पौधे विकसित हो गए और सज गई सुर्ख लाल बेर की आकर्षक बगिया। फरवरी के दूसरे सप्ताह तक यह पककर तैयार हो जाएंगे।

ओमप्रकाश के मुताबिक पहले साल एक पेड़ से लगभग 20 से 25 किलोग्राम फल मिलने की संभावना है। अगले सीजन में पेड़ जब और विकसित होंगे तो पैदावार बढ़कर 75 किलो से एक क्विंटल तक हो जाएगी। इस प्रजाति के बेर की कीमत फुटकर में 90 और थोक में 70 रुपये प्रति किलोग्राम है। पहली बार कम पैदावार होने और पेड़ों की रोपाई में खर्च होने के नाते मुनाफा कम आता है, लेकिन दूसरी पैदावार से आमदनी बढ़ जाएगी। पहली बार इनकी बगिया में लाल बेर के उत्पादन का आकलन 40 क्विंटल है। जिसकी थोक में अनुमानित कीमत 28 हजार रुपये हैं। इसकी खेती के लिए सिंचाई और तापमान का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। फल का सीजन समाप्त होने पर ओमप्रकाश मिर्चा, बैंगन,टमाटर लगाकर अतिरिक्त आमदनी करेंगे।

अन्य किसान भी हुए प्रेरित

गांव के ही युवा किसान अखिलेश सिंह, रविद्र सिंह, हनुमान मौर्य, टीडी मौर्य, डा. रत्नेश सिंह ने कहा कि लाल बेर के खेती ने अलग राह दिखाई है। हम लोग भी इसे अपनाएंगे।


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