दफ्तर हाईटेक हुए पर कर्मचारी नहीं
जागरण ने पाठक पैनल का आयोजन कर बेहतर प्रयास किया
बस्ती: सरकारी कार्यालयों में फाइलों का बढ़ता बोझ, पसीना पोछते कर्मचारी और निराश लौट रहे फरियादी। यह आए दिन की समस्या है। कार्य निस्तारण के लिए सरकारी कार्यालयों में आने वाले फरियादियों की अधिकारी व कर्मचारी से झड़प, अनबन, यहां तक की हाथापाई की नौबत आ जाना सामान्य बात हो गई है। कई बार ऐसी भी घटनाएं हो जाती हैं जो पूरी व्यवस्था को कठघरे में खड़ी कर देती हैं। जागरण ने मंगलवार को पाठक पैनल आयोजित कर इस समस्या का समाधान खोजने का प्रयास किया। पैनल में विभिन्न विभागों के कर्मचारी शामिल हुए। इन लोगों ने जनता की शिकायतों के निस्तारण में विलंब पर खुल कर अपनी बात रखी। राज्य कर्मचारी संगठनों की अगुवाई करने वाले इन पदाधिकारियों ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकारी कार्यालय तो हाईटेक हो गए लेकिन आज तक कर्मचारी उस स्तर पर हाईटेक नहीं हो सके जिस स्तर पर होना चाहिए।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष मस्तराम वर्मा ने कहा कि कर्मचारियों की भर्ती बहुत दिन से नहीं हुईं। कार्य का तरीका बदल गया है। बदलाव का समुचित प्रशिक्षण नहीं मिला। दफ्तरों में 12-12 घंटे काम करने के बाद भी लोगों की जनसमस्या का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जनसंख्या जिस गति से बढ़ी उसी गति से आम आदमी की समस्या भी दफ्तरों में बढ़ी। कर्मचारियों की संख्या न बढ़ने से आमजन की समस्या कम नहीं हो रही है। संविदा कर्मचारियों के स्थाई न हो पाने के कारण भी काम की गति नहीं बढ़ पा रही है। मंत्री तौलू प्रसाद ने कहा कि जहां भी नए विभाग या सरकारी संस्थाएं स्थापित हो रही हैं वहां कर्मचारियों की तैनाती नहीं हो रही है। अन्य विभागों से कर्मचारी लेकर काम चलाए जा रहे हैं। पहले से ही कर्मचारियों की संख्या कम है उसमें से भी कुछ लोगों को इधर-उधर भेज देने से समस्या का समाधान होने के बजाए और बढ़ जा रही हैं। सफाई कर्मचारी संघ के अजय कुमार शर्मा आर्य ने कहा कि गांवों में कार्य करने वाले एक सफाई कर्मी पर पूरे गांव का जिम्मा है लेकिन उसे संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। सारे गांव की अपेक्षा उसी से है यदि वह अपना काम नहीं कर पाते हैं तो नाराजगी का शिकार होना पड़ता है। विकास भवन कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजीत ¨सह ने कहा कि सरकारी कार्य का बोझ अधिक है स्वीकृत पदों के सापेक्ष अधिकारियों की कर्मचारियों की उपलब्धता न होने से जनता की नाराजगी का शिकार होना पड़ रहा है। ग्राम पंचायत अधिकारी संघ के अरुणेश पाल ने कहा कि जनपद में 3347 सफाई कर्मचारी तैनात हैं लेकिन ग्राम पंचायत विभाग में सारा काम सिर्फ 3 कर्मचारी देख रहे हैं। इनके ऊपर गांवों की भी समस्या के समाधान का जिम्मा है। ऐसे में जनता की नाराजगी स्वाभाविक है। कोषागार कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अखिलेश कुमार पाठक व राकसंप के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राम अधार पाल ने कहा कि जब से कार्यालय कंप्यूटरीकृत हुए हैं जब से कई बार वर्जन चेंज हो गए। जो कर्मचारी पुराने वर्जन पर काम करते थे उन्हें नए वर्जन की जानकारी नहीं है। ऐसे में काम में विलंब होना स्वाभाविक है। जब भी वर्जन बदले तो उसका प्रशिक्षण कर्मचारी को दिया जाना चाहिए। इसके अलावा विभागों में कंप्यूटर तकनीशियन की भी भर्ती होनी चाहिए। सिस्टम खराब होने पर तकनीशियन के अभाव में काम बाधित हो जाता है। यह ऐसी समस्याएं हैं जिनका समाधान आवश्यक है। इन दिक्कतों के चलते जनता का काम प्रभावित होता है और नाराजगी का शिकार कर्मचारी को होना पड़ता है।