बीमार अस्पताल के भरोसे मवेशियों का इलाज
जर्जर भवन में चल रहा अस्पताल
बस्ती: खेती के साथ ही किसानों द्वारा पशुपालन भी किया जाता है। यह उनकी आर्थिक दशा सुधारने का एक बेहतर माध्यम है। पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए सरकार द्वारा जगह-जगह पशु अस्पतालों की भी स्थापना की गई है। लापरवाही के चलते अब अधिकतर पशु चिकित्सालय खुद बीमारी का शिकार हो चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2004-05 में सल्टौआ गोपालपुर विकास खंड के गौहनिया गांव में राजकीय पशु चिकित्सालय भवन का निर्माण हुआ था। निर्माण सामग्री की गुणवत्ता ठीक न होने के कारण अस्पताल संचालित होने के पहले ही भवन जर्जर होने लगा, जिसे देखते हुए विभाग ने इसे लेने से मना कर दिया। कुछ समय बाद इसे विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया। काफी समय तक यहां किसी चिकित्सक की तैनाती नहीं हुई। पशुपालकों द्वारा बार-बार शिकायत के बाद आखिरकार विभाग द्वारा लगभग सात साल बाद एक चिकित्सक की तैनाती की गई। वर्तमान समय में भवन का बाउंड्रीवाल ध्वस्त हो चुका है। पशुओं की जांच आदि के लिए बना भवन बुरी जर्जर हो चुका है। अस्पताल के अंदर बना शौचालय प्रयोग लायक नहीं रह गया है। कमरों की खिड़कियां व दरवाजे गायब हो चुके हैं। बिजली की वाय¨रग के पाइप, बोर्ड आदि गायब हो चुके हैं। चिकित्सक व अन्य कर्मचारियों के रात्रि निवास के लिए बने भवन जर्जर हो चुके हैं व उनके चारों तरफ गंदगी ही नजर आती है। यही हाल अस्पताल परिसर व उसके आस-पास का भी है। साफ-सफाई की स्थिति बहुत ही खराब है। यहां चिकित्सक के रूप में डा. अभय कुमार ¨सह के अलावा ड्रेसर पद पर छत्रपति शिवाजी पांडेय व पत्रवाहक के पद पर राम सकल यादव की तैनाती की गई है।