खेत में घूम रहे गोवंशीय पशु, आश्रय स्थल में इंतजार
ग्रामीण क्षेत्र में महज दो अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल संचालित
बस्ती: जिले के ग्रामीण क्षेत्र में 72 अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण होने के बाद भी बेसहारा गोवंशीय पशु खेतों में घूम कर किसानों के अरमान पर पानी फेर रहे हैं। अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल के संचालन की स्थिति यह है कि अब तक महज दो ही संचालित हो सके हैं।
शहर से लेकर गांव तक छुट्टा घूम रहे इन पशुओं के लिए आश्रय स्थल बनाने की कवायद 6 माह पूर्व शुरू हुई थी। जिले में 152 स्थानों पर अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल का निर्माण कराए जाने की योजना बनी थी। विभिन्न ब्लाकों के न्याय पंचायतों में इसके लिए पशुचर की जमीन चिह्नित कर निर्माण कार्य शुरू किया गया। अब तक की जो स्थिति है उसमें 152 के सापेक्ष 72 का निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है, मगर इनमें से केवल दो को ही संचालित किया जा सका है। हर्रैया विकास खंड के महादेवा ग्राम पंचायत और सल्टौआ गोपालपुर का आमा तृतीय ग्राम पंचायत शामिल है। महादेवा में 37 तो आमा में 21 निराश्रित पशु रखे गए हैं।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. अश्वनी कुमार तिवारी ने बताया कि अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल निर्माण का उद्देश्य बेसहारा पशुओं को आश्रय उपलब्ध कराने एवं नर गोवंश का बंध्याकरण करना, गोवंश से उत्पादित दूध, गोबर, कम्पोस्ट के विक्रय की व्यवस्था से आश्रय स्थल को वित्तीय रूप से स्वावलंबी बनाकर लोगों को बेसहारा गोवंश की समस्या से छुटकारा दिलाना है। शुरू में सरकार की ओर से पशुओं के रखरखाव का खर्च दिए जाने की भी व्यवस्था की गई है। जिले में पशुपालन विभाग की ओर से सभी 72 गोवंश आश्रय स्थलों के लिए 10 से 15 हजार रुपये भेजे जा चुके हैं। महज दो अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल के ही संचालन के सवाल पर कहा कि 70 अभी तक हैंडओवर नहीं किए गए हैं, ऐसे में उनमें पशु नहीं भेजे जा सके हैं।