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सचिवों की मनमानी से बीडीओ नाराज, कार्रवाई की संस्तुति

बस्ती: सरकार बदली पर ग्राम पंचायतों में तैनात तमाम ग्राम पंचायत अधिकारियों और ग्राम विकास अधिक

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 Sep 2018 11:28 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 11:28 PM (IST)
सचिवों की मनमानी से बीडीओ नाराज, कार्रवाई की संस्तुति
सचिवों की मनमानी से बीडीओ नाराज, कार्रवाई की संस्तुति

बस्ती: सरकार बदली पर ग्राम पंचायतों में तैनात तमाम ग्राम पंचायत अधिकारियों और ग्राम विकास अधिकारियों की कार्यशैली में बदलाव नहीं हुआ। वह अभी भी मनमाने तरीके से काम कर रहे हैं। ऐसी ही शिकायत खंड विकास अधिकारी सल्टौआ गोपालपुर ने मुख्य विकास अधिकारी से की है। जिले के सल्टौआ गोपालपुर विकास खंड में तैनात ग्राम पंचायत अधिकारी चंद्रभान पर आरोप है कि वह खुद कोई कार्य नहीं करते हैं, बल्कि अपना एक मुंशी रखे हुए हैं, उसी से सारे कार्य कराते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के तहत गांवों को ओडीएफ घोषित करने, स्वच्छ सर्वेक्षण और पौधरोपण कार्य आदि में उनकी ओर से कोई रुचि नहीं ली जा रही है। पिछले माह हुई साप्ताहिक बैठकों में भी वह प्रतिभाग नहीं किए। इससे उनके प्रभार के सात ग्राम पंचायतों में सरकारी योजनाओं की प्रगति बाधित है। बीडीओ ने अपने पत्र में लिखा है कि चंद्रभान ने ग्राम पंचायतों में उपलब्ध कराई गई धनराशि का शौचालय निर्माण के लिए लाभार्थियों को चेक देकर वित्तीय प्रगति एमआइएस पर फीड की गई है, जबकि 7 ग्राम पंचायत के 11 राजस्व गांवों में महज दो ही अब तक ओडीएफ हो पाए हैं। यह लक्ष्य का महज 18.18 फीसद है। बीडीओ ने ग्राम पंचायत अधिकारी चंद्रभान को दोषी मानते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने के लिए अपने स्तर से डीपीआरओ को निर्देशित करने का अनुरोध किया है।

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शौचालय अधूरे घोषित कर दिया ओडीएफ

सल्टौआ गोपालपुर विकास खंड के ग्राम पंचायत सूरतगढ़ के राजस्व गांव मनवा को 28 अगस्त को ओडीएफ घोषित करने का प्रस्ताव दिया गया था। इसी क्रम में बीडीओ ने 12 सितंबर को मनवां गांव का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान ग्राम विकास अधिकारी रामबहादुर चौधरी द्वारा प्रस्तुत 68 लाभार्थियों की सूची में से 14 लाभार्थियों का शौचालय कई वर्षों से बना नहीं है। सूची में दो लाभार्थी बाहर रहते हैं उनका भी शौचालय अब तक बना नहीं है। इसके अलावा राजस्व गांव मनवां में 48 लाभार्थियों के शौचालय शेष हैं। इनका निर्माण कर लाभार्थियों को प्रोत्साहन धनराशि देते हुए वित्तीय प्रगति एमआइएस पर फीड कराई जानी थी। इसके पश्चात गांव को ओडीएफ घोषित किया जाना था। उन्होंने बिना आवास निर्माण कराए ही गांव को ओडीएफ घोषित कराया गया है। सीडीओ से मामले में कार्रवाई का अनुरोध किया गया है।

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