श्रद्धालुओं की सेवा में जुटे स्थानीय जन
15 किमी की दूरी में कई जगह लोगों ने कराया जलपान
बस्ती- अयोध्या की चौरासीकोसी परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं की सेवा के लिए रास्ते में जगह-जगह पंडाल लगाए गए हैं। पहले पड़ाव रजवापुर में हनुमान मंदिर के महंत राम नारायण दास के नेतृत्व में साधु संतों को सुबह का जलपान कराया गया। इस पड़ाव के बाद श्रद्धालु रामरेखा मंदिर के लिए रवाना हो गए। मखौड़ा से चलकर रामरेखा मंदिर तक पहुंचने के बीच में 15 किलोमीटर की दूरी में जगह-जगह लोगों ने श्रद्धालुओं की सेवा की। रजवापुर हनुमान मंदिर के अलावा नगरा गांव में तिलकराम वर्मा, रामगढ़ गांव में बीर बहादुर सिंह, नाल्हीपुर चौराहे पर छोटी छावनी के महंत नृत्यगोपाल दास के शिष्यों ने तथा रेड़वल गांव में ग्राम प्रधान देवमणि यादव ने श्रद्धालुओं को फलाहार कराया। श्रद्धालुओं को चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध कराई गई। रामरेखा पड़ाव पर पहुंचते ही प्रधान अजीत सोनी व महंत दयाशंकर दास ने श्रद्धालुओं के लिए भोजन का इंतजाम किया। विक्रमजोत सीएचसी की तरफ से यहां चिकित्सा शिविर लगाया गया।
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पंचाग्नि तापते रहे संत बालक दास
छावनी: महाराष्ट्र से आए संत बालक दास ने रामरेखा मंदिर पर अपने चारों तरफ कंडे की आग सुलगाई और पंचाग्नि तापने बैठ गए। संत ने मिट्टी के पात्र में आग रखकर उसे सिर पर रखा। संत की यह कठिन तपस्या देख लोग अभीभूत हो गए। संत ने बताया कि वह पंचाग्नि तापते समय छह हजार मंत्रों का जाप जब तक नहीं कर लेते हैं तब तक अन्न ग्रहण नहीं कर सकते हैं। ऐसा उनके गुरु का आदेश है।
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तीन पीढ़ी एक साथ परिक्रमा में शामिल
जासं.श्रृंगीनारी:परिक्रमा में शामिल होने को काफी दूर-दूर से लोग आए हैं। इसमें महिलाओं के साथ ही बच्चे भी हैं। बिहार के खगड़िया की 7 वर्षीय भवानी ने कहा कि उसे रामजी बहुत प्यारे हैं। वह अपनी मां कामिनी देवी व नानी काजोल देवी के साथ परिक्रमा में शामिल हुईं हैं।
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दिव्यांग नाना का सहारा है सत्यम
श्रृंगीनारी: मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ के 65 वर्षीय नेत्रों से दिव्यांग जयराम अपने नाती सात वर्षीय सत्यम के साथ शामिल हुए हैं। सत्यम उन्हें पैदल ही हाथ पकड़ कर ले चला रहा था। नाना भी नाती का सहारा पाकर काफी उत्साहित थे। कहा उनकी वर्षों से इस यात्रा में शामिल होने की इच्छा थी।