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कारीगर खुद के काम से बदलेंगे तकदीर

जरी-जरदोजी कारोबार के लिए सरकारी योजनाओं से मदद होगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Aug 2018 11:28 PM (IST)Updated: Sat, 11 Aug 2018 11:28 PM (IST)
कारीगर खुद के काम से बदलेंगे तकदीर
कारीगर खुद के काम से बदलेंगे तकदीर

जागरण संवाददाता, बरेली : जरी-जरदोजी कारीगर अब खुद का काम शुरू कर पाएंगे। कारोबार के लिए सरकारी योजनाओं से मदद होगी। ई-कॉमर्स से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में लगने वाले बड़े व्यापार मेलों का बाजार और ओडीओपी योजना के माध्यम से लाभ दिलाया जाएगा।

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बरेली में जरी-जरदोजी के करीब डेढ़ लाख कारीगर हैं। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष और महिलाएं जरी के काम में जुटे हैं। दिल्ली, मुंबई, गुजरात के सूरत जैसे बड़े शहरों की कंपनियां यहां से अपना माल तैयार कराती हैं। यह काम तीन-चार एजेंट से होकर कारीगरों तक पहुंचता है। एक जनपद, एक उत्पाद योजना के अंतर्गत ये कारीगर सशक्त बन सकते हैं। कारीगरों को पहले डिजाइन तैयार करने का हुनर सिखाया जाएगा। अभी अधिकांश कारीगर कंपनियों के डिजाइन पर निर्भर रहते हैं।

कारोबार के लिए होंगे जागरूक

-कारीगरों को खुद का काम शुरू करने के लिए जागरूकता अभियान चलेगा। इसकी शुरुआत सितंबर में हो सकती है। इस बीच उन्हें सरकार की योजना और मंशा से अवगत कराया जाएगा।

काम से संवरेंगे हालात

जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त अनुज कुमार बताते हैं कि योजना का मुख्य लाभ कारीगरों को ही दिलाना है। जब वह अपना माल तैयार करेंगे, तो उन्हें सीधे इसका लाभ मिलेगा।

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डेढ़ सौ रुपये दिहाड़ी

जरी कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को डेढ़ सौ रुपये दिहाड़ी मिलती है। बारह घंटे ड्यूटी पर तीन सौ रुपये कमा लेते हैं। घरों पर महिलाएं जो उत्पाद बनाती हैं उसी के मुताबिक रुपये मिलते हैं। निशा बताती हैं कि इस समय तो हजार रुपये मुश्किल से पैदा होते हैं।

कारीगरों की मजबूरी का फायदा

जरी का काम करने वाले अजीम खान बताते हैं कि जीएसटी की वजह से काम हल्का हुआ है। कारीगर ज्यादा हैं और काम कम। इससे कारीगरों को दिहाड़ी भी कम मिल रही है। एक जनपद एक उत्पाद से वह स्थिति सुधरने की उम्मीद जताते हैं।


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