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बदायूं का ये युवा किसान ऐसे दिला रहा लोगों को कचरे से आजादी

देश को कचरा मुक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान को यहां बिसौली तहसील क्षेत्र के गांव सलेमपुर में सत्येंद्र सिंह गति दे रहे हैं।

By Ravi MishraEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 05:00 AM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 05:23 PM (IST)
बदायूं का ये युवा किसान ऐसे दिला रहा लोगों को कचरे से आजादी
बदायूं का ये युवा किसान ऐसे दिला रहा लोगों को कचरे से आजादी

बदायूं , जेएनएन। देश को कचरा मुक्त बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान को यहां बिसौली तहसील क्षेत्र के गांव सलेमपुर में सत्येंद्र सिंह गति दे रहे हैं। घरेलू-कूचरा ही नहीं खेत-खलिहान के कचरा को भी वह गोबर के साथ जैविक खाद बनाने में उपयोग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसका दोहरा फायदा है, एक तो आसपास कूड़ा-कचरा नहीं रह जाता, दूसरे खेत को जैविक खाद मिल जा रही है। वह गांव के दूसरे किसानों को भी इस मुहिम से जुड़ने के लिए प्रोत्सहित कर रहे हैं।

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कोरोना काल में जिले में संक्रामक रोग भी तेजी से पांव पसार रहे हैं। संक्रामक रोगों की मुख्य वजह जगह-जगह कूड़ा-कचरा को ही माना जा रहा है। संचारी रोग नियंत्रण के लिए अभियान तो चलाया जा रहा है, लेकिन गांव-देहात में औपचारिकता ही निभाई जा रही है। सड़क पर गोबर और आसपास कूड़े के ढेर दिखाई पड़ते हैं। आसपास कूड़ा-कचरा देखकर सलेमपुर के युवा किसान सत्येंद्र सिंह का मन व्यथित होता था। जैविक खेती के बारे में वह जानते थे, इसलिए खुद इस पर अमल करना शुरू कर दिया।

वजह इसका दोहरा फायदा दिखाई दे रहा था। एक तो रासायनिक उर्वरकों से पैदा होने वाला अनाज हानिकारक साबित हो रहा था, दूसरे कूड़ा का निस्तारण भी नहीं हो पा रहा था। महीनों मशक्कत की, चंदौसी और मुरादाबाद तक जाकर जानकारी ली और वर्मी कंपोस्ट बनाने की जानकारी हासिल की। घर में निकलने वाले कूड़ा-कचरा से लेकर खेत-खलिहान के कचरा का सदुपयोग करने के लिए वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार करना शुरू कर दिया। उन्होंने 30 से 40 फीट लंबा वर्मी कंपोस्ट का गड्ढा बनाकर उसमें कचरा के साथ गोबर मिलाकर जैविक खाद तैयार करनी शुरू कर दी।

उन्होंने नौ बीघा धान की फसल की है और उसमें इसी खाद का उपयोग किया है। वह ईमानदारी से बताते हैं कि अभी जैविक खाद से खेती की शुरूआत की है तो थोड़ा-बहुत यूरिया का भी उपयोग किया है। वह बताते हैं कि कूड़ा-कचरा से तैयार खाद का उपयोग कर जैविक खेती से फसल हरी-भरी दिखाई दे रही है। अब वह गांव के दूसरे किसानों को भी इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। वह कहते हैं कि जैविक खेती से ही शुद्ध अनाज मिल रहा है जो स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।

सत्येंद्र सिंह अच्छा काम कर रहे हैं। अपने खेत में जैविक खाद बना रहे हैं, इससे घरेलू कूड़ा-कचरा का भी सदुपयोग कर रहे हैं और खेती भी जैविक कर रहे हैं। जैविक खेती समय की जरूरत बनती जा रही है, जैविक उर्वरक से तैयार अनाज स्वास्थ्य के लिए ज्यादा लाभकारी है।- विनोद कुमार, जिला कृषि अधिकारी

सत्येंद्र सिंह अच्छा काम कर रहे हैं। अपने खेत में जैविक खाद बना रहे हैं, इससे घरेलू कूड़ा-कचरा का भी सदुपयोग कर रहे हैं और खेती भी जैविक कर रहे हैं। जैविक खेती समय की जरूरत बनती जा रही है, जैविक उर्वरक से तैयार अनाज स्वास्थ्य के लिए ज्यादा लाभकारी है।- विनोद कुमार, जिला कृषि अधिकारी

 


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