महीनोंं के बाद बीत गया साल, शुल्क प्रतिपूर्ति का नहीं खत्म हुआ इंतजार, अभिभावक व छात्र झेल रहे परेशानी
स्कूल प्रबंधन जहां बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय के चक्कर काटने पर मजबूर हैं तो वहीं जरूरतमंद अभिभावकों के सामने बच्चों के लिए यूनिफार्म और कापी किताबें खरीदना मुश्किल हो गया है। अभिभावकों व बच्चों की समस्या का समाधान होता कहीं भी नहीं दिखाई पड़़ रहा है।
बरेली, जेएनएन। आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को जिले के निजी स्कूलों में पढ़ने का सपना सरकार ने पूरा किया मगर शुल्क प्रतिपूर्ति और कापी किताब की धनराशि का भुगतान न करने की वजह से स्कूल प्रबंधन के साथ ही साढ़े पांच हजार से अधिक बच्चों की मुसीबत बढ़ गईं। स्कूल प्रबंधन जहां बेसिक शिक्षा विभाग कार्यालय के चक्कर काटने पर मजबूर हैं तो वहीं जरूरतमंद अभिभावकों के सामने बच्चों के लिए यूनिफार्म और कापी किताबें खरीदना मुश्किल हो गया है। अभिभावकों व बच्चों की समस्या का समाधान होता कहीं भी नहीं दिखाई पड़़ रहा है।
कोरोना संक्रमण के चलते पिछले दो वर्षों से शासन की ओर से शुल्क प्रतिपूर्ति न मिलने की वजह से अभिभावकों को विद्यालयों से वित्तीय सहायता नहीं मिली है। ऐसे में जरूरतमंद अभिभावक कहीं न कहीं से जुगाड़ कर बच्चों का भविष्य संवारने में लगे हैं। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत यूनिफार्म और किताबों के लिए अभिभावकों को पांच हजार रुपये दिए जाते हैं। वर्ष 2021-22 में करीब साढ़े पांच हजार बच्चों का प्रवेश आरटीई के तहत हुआ। जिन्हें इस बार प्रतिपूर्ति शुल्क नहीं मिला। जिले के निजी विद्यालयों में 15 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं आरटीई के तहत प्रवेश लेकर शिक्षा पा रहे हैं। बेसिक शिक्षा समिति के प्रदेशाध्यक्ष जगदीश चंद्र सक्सेना के अनुसार स्कूलाें में अभिभावकों की ओर से फीस जमा न होने की वजह से स्कूल को संचालित करने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। विभागीय अधिकारियों को कई बार ज्ञापन भी सौंपा लेकिन, हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला है।