पीलीभीत की न्यायिक मजिस्ट्रेट सरकारी अस्पताल में बनीं मां
पीलीभीत की न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जिला महिला अस्पताल को इलाज के लिए भरोसेमंद बताते हुए वहां अपनी बच्ची को जन्म दिया। उनके पति व एसडीएम सदर सौरभ दुबे ने भी इसका समर्थन किया।
पीलीभीत(जेएनएन)। इन दिनों मंडल में फैले बुखार का मसला हो या सामान्य मरीजों के लिए सुविधाएं। सरकारी अस्पताल अक्सर ही खराब रवैये के लिए सुर्खियों में रहते हैं। सरकार से लेकर स्थानीय अफसरों के दौरों में भी अव्यवस्था की कलई खुलने के मामले सामने आते हैं लेकिन, यह पूरा सच नहीं है। यहां भी 'धरती के भगवान' यानी डॉक्टर सबकुछ करने में सक्षम हैं। शायद यही भरोसा सदर तहसील के एसडीएम की पत्नी और न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएम) अलका पांडेय को जिला महिला अस्पताल खींच लाया। गर्भवती अलका ने निजी अस्पताल चुनने के बजाए न केवल यहीं सारे चेकअप कराए। बल्कि डिलीवरी के लिए भी यहां के डॉक्टरों पर भरोसा जताया। ऑपरेशन के बाद उन्होंने स्वस्थ बेटी को जन्म दिया।
--चेकअप से लेकर डिलीवरी तक सब सरकारी अस्पताल में :
सदर तहसील में एसडीएम सौरभ दुबे की पत्नी अलका पांडेय न्यायिक मजिस्ट्रेट हैं। जिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अनीता चौरसिया के अनुसार, अलका ने सरकारी सुविधाओं पर पूरा भरोसा जताया। गर्भावस्था के सभी चेकअप हमारे यहां कराए थे। सोमवार की रात उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया। गर्भावस्था के दिन कुछ चढ़ गए थे। ऐसे में ऑपरेशन करने का निर्णय लेना पड़ा। मंगलवार को सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर ऑपरेशन से उन्होंने बेटी को जन्म दिया। बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। --एसडीएम पति बोले, हमें अस्पताल पर पूरा भरोसा
जिला महिला अस्पताल में ही प्रसव कराना क्यों पसंद किया, जब ये सवाल अलका के पति एसडीएम से पूछा गया तो उनका जवाब भी कमाल का था। बोले, सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ा है। यहां सुविधाओं की कमी नहीं है। उनके अलावा पहले भी अधिकारी परिजनों के लिए सरकारी अस्पताल की सेवाएं लेते रहे हैं।