Banking Facility : बैंक सखी बनेगी महिलाएं, घर घर पहुंचेगा बैंक, जानिए कैसे
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए राज्य सरकार बैंकिंग सुविधाओं को गांव-गांव पहुंचाएंगी। इसका ब्लूप्रिंट लगभग तैयार हो गया है।
बरेली, जेएनएन। महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए राज्य सरकार बैंकिंग सुविधाओं को गांव-गांव पहुंचाएंगी। इसका ब्लूप्रिंट लगभग तैयार हो गया है। पहले चरण में करीब 40 बैंकों में बैकिंग कॉरेस्पोंडेंट सखी तैनात होंगी। इससे योजना की जानकारी और आवेदन के लिए ग्रामीणों को बैंकों तक दौड़भाग नहीं करनी होगी। सभी बैैंकिंग सखी को एक बायोमीट्रिक मशीन और टैब दिए जाएंगे। अंगूलियों के निशान लेकर आधार लिंक बैंक अकाउंट की डिटेल की मदद से सखी आपके घर पर ही बैंक खाते में रुपया जमा भी करवा देंगी और जरूरत पडऩे पर विड्रा भी होगा।
बैैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य प्रबंधक दीपक चंद्र के मुताबिक जनधन खाता, किसान सम्मान निधि, पेंशन जैसी तमाम जरूरतों के लिए ग्रामीणों को बैंक तक आना पड़ता था। घर से निकलकर बैंक की शाखा तक आने की भी एक लागत उन्हेंं चुकानी पड़ती थी। अब उन्हेंं परेशान नहीं होना होगा। क्योंकि ब्लॉक स्तर पर तैनात बैैंकिंग सखी से संपर्क कर घर पर ही बैंक की सुविधा पा सकेंगे।
सरकार की गाइडलाइन का इंतजार
सखी बनाने के लिए राज्य सरकार की गाइडलाइन का इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद ही नियुक्ति शुरू होगी। सीडीओ के मुताबिक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत स्वयं सहायता समूहों के सदस्य बैंक सखी के तौर पर काम करेंगी। जारी गाइडलाइन में 30 समूहों के बैंक खाता पर एक बैंक सखी, 80 से 160 समूह पर दो बैंक सखी और 160 समूह पर तीन बैंक सखी तैनात होंगी। विभाग उनका मानदेय तय करेगा, साथ में प्रति ट्रांजेक्शन कमीशन भी दिया जाएगा। खंड विकास अधिकारी बैंक सखी को नियुक्त करेंगे। बैंक में सखी की नियुक्ति के लिए हाईस्कूल पास योग्यता निर्धारित की गई है। इसमें अंक गणित का ज्ञान होना जरूरी है।
जरूरी तथ्य
- जिले में करीब 419 बैंकों की शाखाएं हैं।
- समूहों के खातें ग्रामीण शाखाओं में अधिक खुले हैं।
- बायोमीट्रिक मशीन और टैब मिलेगा सखी को
- नियुक्ति के दौरान महिलाओं को बैंकिंग कामकाज का प्रशिक्षण मिलेगा।
यह ग्रामीणों के लिए बहुत अच्छी योजना है। साथ में महिलाओं के स्वावलंबी बनने की दिशा में उठाया गया अच्छा कदम है। हमारी तैयारी शुरू हो चुकी है।
- अतुल बंसल, एजीएम, बैंक ऑफ बड़ौदा
महिला स्वयं सहायता समूहों में बीसी महिला पहले भी होती रही है। अब राज्य सरकार की गाइडलाइन आने का इंतजार है। महिलाओं के लिहाल से यह अच्छी योजना है।
- चंद्र मोहन गर्ग, सीडीओ बरेली