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Accident : सड़क पर लड़ रहे बंदरों को बचाने में चली गई महिला की जान

बदायूं में सड़क पर लड़ रहे बंदरों को बचाने में एक महिला की जान चली गई। घटना बुधवार को उस वक्त घट जब महिला गंगा स्नान के बाद पति के साथ बाइक पर बैठकर वापस घर लौट रही थी।

By Ravi MishraEdited By: Published: Thu, 03 Sep 2020 04:55 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2020 04:55 PM (IST)
Accident : सड़क पर लड़ रहे बंदरों को बचाने में चली गई महिला की जान
Accident : सड़क पर लड़ रहे बंदरों को बचाने में चली गई महिला की जान

बदायूं, जेएनएन। बदायूं में सड़क पर लड़ रहे बंदरों को बचाने में एक महिला की जान चली गई। घटना बुधवार को उस वक्त घट जब महिला गंगा स्नान के बाद पति के साथ बाइक पर बैठकर वापस घर लौट रही थी। इसी दौरान बंदरों ेको बचाने के चक्कर में बाइक फिसल जाने से महिला की मौत हो गई। जबकि उसका पति भी घायल हो गया। पुलिस ने महिला के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

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बिल्सी थाना क्षेत्र के गांव कटिन्ना निवासी सरोजा देवी अपने पति नत्थू सिंह के साथ कछला गंगा घाट पर स्नान करने गई थीं। वापसी में दंपती जैसे ही मुजरिया थाना क्षेत्र के गांव रफीनगर के पास पहुंचे कि वहां रोड के बीचो-बीच बंदर आपस में झगड़ रहे थे। नत्थू सिंह ने बाइक रोक ली, लेकिन काफी देर तक बंदर वहां झगड़ते रहे।

नत्थू सिंह ने जैसे ही बाइक को वहां से निकालने का प्रयास किया कि हड़बड़ाहट में बाइक अनियंत्रित हो गई और सरोजा देवी बाइक से गिर गईं। बाइक से गिरने पर उनके सिर में गंभीर चोट आई। पुलिस ने आनन-फानन में उनको अस्पताल भेजा जहां रास्ते में उनकी मौत हो गई। पुलिस ने घर परिजनों को जानकारी देते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था।

बंदर रोड पर झगड़ रहे थे उनसे बचने के चक्कर में बाइक अनियंत्रित हुई और महिला रोड पर गिरकर घायल हो गई। अस्पताल ले जाते वक्त उन्होंने दम तोड़ दिया। शव पोस्टमार्टम को भेजा गया है। - जय भगवान सिंह, एसएचओ मुजरिया

बंदरों की वजह से आए दिन हादसे हो रहे हैं। बंदरों के झुंड घरों में घुसकर भी काफी नुकसान पहुंचाते है। बंदरों के आतंक की रोकथाम के लिए कोई कार्ययोजना नहीं है। करीब 15 साल पहले इनको पकड़ने की योजना बनी थी, लेकिन वह पालिका और वन विभाग के बीच तालमेल न होने से शुरू नहीं हो सकी। बंदरों को पकड़ने का जिले भर में कोई इंतजाम नहीं है। इस वजह से बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है।


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