अब क्यों नहीं बोलते पर्सनल लॉ बोर्ड वाले : उस्मानी
राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष तनवीर हैदर उस्मानी निदा खान को इस्लाम से खारिज करने के फतवे और एक महिला का ससुर से हलाला कराने पर बेहद खफा है।
जेएनएन, बरेली : राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष तनवीर हैदर उस्मानी निदा खान को इस्लाम से खारिज करने के फतवे और एक महिला का ससुर से हलाला कराने पर बेहद खफा हैं। उन्होंने सख्त शब्दों में नाराजगी जताते हुए कहा कि बरेली के उलमा यह क्या करा रहे हैं। इस पर्सनल लॉ बोर्ड चुप क्यों हैं? बोर्ड के जिम्मेदार मुंह क्यों नहीं खोलते कि यह सब क्या कराया जा रहा है? उन्होंने यह भी कहा कि आयोग महिलाओं पर जुल्म नहीं होने देगा। चाहे करने वाले कितने भी असरदार क्यों न हो।
तलाक और हलाला पर उठे तूफान के बीच 'दैनिक जागरण' से बातचीत में उस्मानी ने कहा कि आयोग अब जल्द अपना फैसला सुनाएगा। दो सदस्य टीम बरेली से जांच करके वापस लौट आई है। वह रिपोर्ट देगी, उसके बाद आगे की कार्रवाई तय होगी। आयोग के अध्यक्ष बोले, एक बात साफ कर देना चाहता हूं कि उलमा जिस तरह के फतवे जारी कर रहे हैं, वे इस्लाम का हिस्सा नहीं है। उदाहरण देकर कहा कि अल्लाह के रसूल पर एक औरत कूड़ा फेंका करती थी, जब एक दिन उसने ऐसा नहीं किया तो उसके बारे में मालूम किया। बीमार होने का पता लगने पर उससे मिलने गए। उसके हक में दुआ की। इसके विपरीत आज के उलमा एक लड़की को इस्लाम से खारिज करके उसका सामाजिक बहिष्कार करा रहे हैं। बीमार होने पर उससे कोई पूछताछ करने नहीं जाएगा। मर जाए तो जनाजे में शिरकत नहीं की जाए और दफनाने के लिए कब्रिस्तान में जगह नहीं दें.., यह क्या है? - हलाला नहीं, यह दुष्कर्म है : यह फतवे जारी करके खुद को कहते हैं कि हम अल्लाह के रसूल के उम्मती (पैरोकार) हैं। उनके इस जुल्म पर पर्सनल लॉ बोर्ड खामोश है। न मनमाने फतवे पर कुछ कहा जा रहा और न ससुर से महिला का हलाला कराने के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। हलाला नहीं, यह दुष्कर्म है। बीवी को शौहर की मां बना दिया। इस्लाम में हलाला इसलिए रखा गया कि कोई भी शौहर इसके खौफ से बीवी को तलाक नहीं दे। जैसे बाल विवाह पर रोक लगी, वैसे हलाला पर भी लगे। सरकार से इसके लिए सिफारिश भी करेंगे।