रोबोटिक्स के जमाने में छोड़नी होगी कार्ड बदलने की तकनीकि
आने वाला युग रोबोटिक्स का है।
By Edited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 01:48 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 12:52 PM (IST)
जेएनएन, बरेली : आने वाला युग रोबोटिक्स का है। इसलिए भारत को कार्ड बदलने की तकनीकि छोड़नी होगी। देश के पास सन लाइट्स टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, सोलर जैसे क्षेत्रों में प्रोडक्ट डेवलपमेंट का सुनहरा अवसर है। एकेटीयू प्लेसमेंट व रिसर्च पर विशेष ध्यान दे रहा है और युवाओं के लिए नए कोर्स सहित अनुदान देने पर भी कार्य कर रहा है। यह कहना है डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकि विश्वविद्यालय (एकेटीयू) के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक का। वह एसआरएमएस के दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने आए थे। प्रस्तुत है उनसे बातचीत के कुछ अंश : प्रश्न : तकनीक के क्षेत्र में छात्र-छात्राओं के विकास के लिए किन बिंदुओं पर फोकस किया जा रहा है? उत्तर : एकेटीयू स्कूल ऑफ थॉटस पर काम कर रहा है। जिसका मुख्य रूप से फोकस रिसर्च व प्लेसमेंट है। इसमें प्लेसमेंट से वंचित रहने वाले सूबे के 10,000 छात्र-छात्राओं को रोजगार उपलब्ध कराने विचार किया जा रहा है। इस सत्र से बैचलर ऑफ प्लानिंग कोर्स शुरू किया जा रहा है। इसके अलावा एचआर कॉन्क्लेव कोर्स शुरू करने पर विचार चल रहा है। प्रश्न : भविष्य में तकनीकि क्षेत्र में युवाओं को रोजगार प्रदान करने की नई चुनौतियां क्या है, इसका क्या निदान है? उत्तर : आने वाला जमाना रोबोटिक्स का है। भारत को कार्ड चेंज करने की टेक्नोलॉजी से बाहर निकलना होगा। उसे उत्पाद विकसित क रने के क्षेत्र में काम करना होगा। स्वास्थ्य के क्षेत्र रोबोटिक्स सर्जरी, आर्टिफिशियल डिस्क्रिप्टिव टेक्नोलॉजी काम कर रही है। प्रश्न : हाल ही में बजट आया है, तकनीकि विकास के हिसाब से आप बजट को किस रूप में देखते है? उत्तर : बजट में रिसर्च को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। रिसर्च के नाम पर 5-10 करोड़ के बजट से कुछ नहीं होने वाला। प्रश्न : औद्योगिक क्रांति के युग में भारत को कहां खड़ा पाते है? उत्तर : चौथी औद्योगिक क्रांति में उत्पाद विकसित करने के मामले में हम काफी पिछडे़ है। विकास के लिए हमें खुद उत्पाद बनाने होंगे। भारत ने सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में काम किया है। लेकिन सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट के मामले में हम पिछडे़ है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में उत्पाद विकसित करने पर काम किया जा सकता है।
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