Move to Jagran APP

गिद्धों को रास आ रही नाथनगरी की आबोहवा

वाइल्डलाइफ एंड फॉरेस्ट कंजर्वेशन ट्रस्ट आफ इंडिया के अध्यक्ष तथा शोधकर्ता डॉ विराट सिंह तोमर की मौजूदगी में बरेली में गिनती हुई। देश भर में गिद्धों की पाए जाने वाली नौ प्रजातियों में आठ प्रजाति के गिद्ध उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं।

By Sant ShuklaEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 05:15 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 05:15 PM (IST)
गिद्धों को रास आ रही नाथनगरी की आबोहवा
पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

अंकित शुक्ला

loksabha election banner

बरेली, जेएनएन।  नाथनगरी में गिद्धों की गिनती कराई गई। जिसमें कुल 40 गिद्ध मिले हैं, इनमें से नौ जूमीनाइल (बच्चे) हैं। इसलिए माना जा रहा है कि गिद्धों को नाथनगरी की आबोहवा रास आ रही है। पाए गए सभी गिद्ध इजिप्शियन गिद्ध (पीली चोंच वाला ) मिले हैं। वाइल्डलाइफ एंड फॉरेस्ट कंजर्वेशन ट्रस्ट आफ इंडिया के अध्यक्ष तथा शोधकर्ता डॉ विराट सिंह तोमर की मौजूदगी में बरेली में गिनती हुई। देश भर में गिद्धों की पाए जाने वाली नौ प्रजातियों में आठ प्रजाति के गिद्ध उत्तर प्रदेश में पाए जाते हैं। गिद्ध पर्यावरण में मृत पशुओं को खाकर एक प्राकृतिक सफाई सेवक का कार्य करता है। पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में भी इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

प्रदेश सरकार गिद्धों के संरक्षण को लेकर गंभीर है। इसी के तहत जिले के सभी रेंज में गिद्धों की गणना कराई गई। प्रभागीय वन अधिकारी के रेंजर समेत वन दरोगा और फारेस्ट गार्ड पूरे दिन चिन्हित स्थानों पर भ्रमण करते रहे। डीएफओ ने बताया कि शासन से एसएवीई (सेविंग एसियाज वल्चर्स फ्रॉम एक्टिंशन) योजना के तहत गिद्धों का संरक्षण किया जाना है। इसके तहत प्रदेश में चले खास अभियान के तहत जिले में भी वनकर्मी सक्रिय रहे। सभी रेंज में रेंजर समेत वन दरोगा व फारेस्ट गार्डों की ओर से चिन्हित स्थानों में बंधी, बंधे व जंगलों के अलावा मैदानी इलाके में पूरे दिन गिद्धों की तलाश की गई।

 डाइक्लोफिनेक दवा के प्रतिबंध का दिखने लगा असर

वन्य जीव विशेषज्ञ डा. आरके सिंह का कहना है कि पशुओं को डाइक्लोफिनेक दवा खिलाने की वजह से गिद्धों की किडनी फेल होने लगी। इससे उनका प्रजनन भी प्रभावित हुआ। कई वर्षों पहले इस दवा पर प्रतिबंध लगाया गया। इससे अब गिद्धों की संख्या बढ़ने लगी।

 लोगों में आयी जागरूकता

प्रभागीय वन अधिकारी भारत लाल का कहना है कि गिद्धों की संख्या में बढ़ोत्तरी होना कहीं न कहीं लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता होना है। देश में गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती है। इनमें से चार लगभग विलुप्त प्राय हैं। इजिप्शियन वल्चर भी उन्हीं लुप्त प्राय श्रेणी के गिद्धों में शामिल है। गिद्धों को पर्यावरण का स्वच्छकार भी कहा जाता है।

डीएफओ का क्या कहना है

डीएफओ भारत लाल का कहना है कि  शासन के निर्देश पर एसएवीई अभियान के तहत प्रत्येक रेंज में गिद्धों की गणना कराई गई है। जिले में कुल 40 गिद्ध मिले हैं। इनमें नौ बच्चे भी शामिल है। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.