UP Chunav 2022 : मौलाना तौकीर रजा के बयानों पर हमलावर हुई भाजपा, मुश्किल में आई कांग्रेस
UP Vidhansabha Chunav 2022 ये वो दोस्ती है जो राजनीतिक मिठास का स्वाद लेने के लिए हुई लेकिन बहुत जल्द दर्द देने लगी है। इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के मुखिया और बरेलवी मसलक से जुड़े मौलाना तौकीर रजा से हाथ मिलाना कांग्रेस को दर्द दे रहा है।
बरेली, जेएनएन। UP Vidhansabha Chunav 2022 : ये वो दोस्ती है जो राजनीतिक मिठास का स्वाद लेने के लिए हुई लेकिन बहुत जल्द दर्द देने लगी है। इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के मुखिया और बरेलवी मसलक से जुड़े मौलाना तौकीर रजा से हाथ मिलाना कांग्रेस को 24 घंटे से भी कम समय में गले में बंधी घंटी की तरह दर्द दे रहा है। तौकीर अपने बयानों में आग उलग रहे हैं और भाजपा हमलावर मुद्रा में आ गई है।
ऐसे में कांग्रेस क्या जवाब दे, यह समझ नहीं आ रहा। सुन्नी मुस्लिमों के धर्म गुरु आला हजरत परिवार का प्रतिनिधित्व तौकीर करते हैं। मुस्लिमों के एक वर्ग में उनकी आवाज सुनी जाती है। आला हजरत दरगाह की दम के चलते ही वह बरेली और मुरादाबाद मंडल की 25 सीटों पर सीमित राजनीतिक प्रभाव रखते हैं। इसको भांपकर ही अपनी गोटियां चलते हैं। विधानसभा चुनाव की घोषणा से एक दिन पहले तौकीर ने अपना दम दिखाने के लिए एक जनसभा बुलाई।
इसमें हरिद्वार की धर्म संसद के एक बयान को मुद्दा बनाकर अप्रत्यक्ष रूप से देश में गृहयुद्ध की धमकी तक दे डाली थी। इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ राजनीतिक बातचीत की लेकिन यह सफल नहीं रही। अब सोमवार को उन्होंने कांग्रेस को अचानक राजनीतिक समर्थन दे दिया। परंतु मंगलवार को कांग्रेस की बरेली के शहर अध्यक्ष के यहां बुलाई प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने फिर हिंदुओं के खिलाफ आग उगली।
केंद्र की कांग्रेस सरकार के समय में हुए दिल्ली के बाटला हाउस कांड पर बोले कि यदि वहां मारे गए लोगों की जांच करा ली जाती तो वह शहीद निकलते। तौकीर के बयान के कुछ देर बाद ही भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि कांग्रेस ऐसे हिंदू विरोधी नेताओं को ही समर्थन देती है। कांग्रेस अब तौकीर के बयानों से दूरी दिखाने की कोशिश कर रही है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता केबी त्रिपाठी कहते हैं कि तौकीर कांग्रेस में शामिल नहीं हुए हैं।
यदि हिंदू धर्म विरोधी बयान वह देते हैं तो यह कांग्रेस के नहीं हैं। क्या पार्टी उनसे अलग रास्ता करेगी के सवाल पर वह कहते हैं कि इस पर फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा। बाटला हाउस कांड पर वह कहते हैं कि यह कांग्रेस के कार्यकाल में ही हुआ था। इसे सही नहीं ठहराया जा सकता। तौकीर रजा कभी स्वयं चुनावी मैदान में नहीं उतरे। वर्ष 2012 में बरेली के भोजीपुरा विस क्षेत्र में भड़काऊ भाषणों के चलते मुस्लिम वोटों को एकजुट करने में कामयाब रहे थे।
इसके बाद तौकीर की पार्टी कभी जीत का करिश्मा तो करने में कामयाब नहीं हो सकी लेकिन अपने प्रभाव वाली सीटों पर वोट जरूर पाती रही है। इसके बल पर ही तौकीर बड़े राजनीतिक दलों से चुनावी मोलभाव भी करते रहे हैं। तौकीर ने कांग्रेस को समर्थन देने से पहले सपा के साथ संभावनाएं तलाशीं। परंतु साथ शर्त रखी कि सपा सरकार बनी तो भाजपा फिर से दंगा कराएगी। ऐसे में सपा सत्ता में आने पर दंगा नियंत्रक आयोग बनाने की घोषणा करे। परंतु सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया। ऐसे में वह कांग्रेस को समर्थन को आगे बढ़ गए।