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UP Assembly Election 2022 : बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट पर चुनावी जंग जानिये क्यों रहती है खास

UP Assembly Election 2022 विधानसभा चुनाव की आहट हो गई है। चुनाव की बिसात बिछने लगी है। टिकट की चाहत में तमाम लोगों ने आवेदन कर दिए हैं। हमेशा की तरह इस बार भी फरीदपुर की दलित सीट पर पूरे रुहेलखंड की नजर है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sat, 25 Sep 2021 11:10 AM (IST)Updated: Sat, 25 Sep 2021 11:10 AM (IST)
UP Assembly Election 2022 : बरेली की फरीदपुर विधानसभा सीट पर चुनावी जंग जानिये क्यों रहती है खास
मुस्लिम, यादव बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण सपा के पास ज्यादा रही सीट

बरेली, जेएनएन। UP Assembly Election 2022 : विधानसभा चुनाव की आहट हो गई है। चुनाव की बिसात बिछने लगी है। टिकट की चाहत में तमाम लोगों ने आवेदन कर दिए हैं। हमेशा की तरह इस बार भी फरीदपुर की दलित सीट पर पूरे रुहेलखंड की नजर है। मुस्लिम, यादव बाहुल्य होने के कारण समाजवादी पार्टी में कुछ ज्यादा ही हलचल है। अब तक दर्जन भर से अधिक आवेदन पार्टी नेताओं के पास पहुंच चुके हैं और कई नाम अब तक सामने नहीं आए हैं। खास बात यह है बाहरी लोगों के लिए लाभदायक रही इस सीट पर इस बार भी मंडल व अन्य जिलों के लोगों ने भी चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है।

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लंबे समय से बनी है एससी सीट : फरीदपुर विधानसभा सीट लंबे समय से अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित रही है। वर्ष 1952 से 1967 तक यह लगातार आरक्षित सीट रही। वर्ष 1967 में सामान्य सीट बनी तब कांग्रेस के डीपी सिंह चुनाव जीते। फिर 1969 में उपचुनाव हुए जिसमें भारतीय क्रांति दल के राजेश्वर सिंह विधायक बने। फिर 1974 से लगातार सीट आरक्षित चल रही है। इस सीट पर दलित समाज की बड़ी भागीदारी भी रही है। यह भी माना जाता है कि जो विधायक बना प्रदेश में सरकार उसकी ही रही।

सीट लाई बाहर के लोगों के लिए बहार : फरीदपुर की सीट यहां रहने वाले से अधिक बाहर वालों के लिए बहार लाई है। यहां से पांच बार विधायक रहे डा. सियाराम सागर भी दातागंज (बदायूं) से यहां प्रैक्टिस के लिए आए थे। तीन बार के विधायक रहे नंद लाल इसी विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले हैं। मौजूदा विधायक डा. श्याम बिहारी लाल भी बाहर के हैं। बसपा से विधायक रहे विजयपाल सिंह मढ़ीनाथ के रहने वाले हैं। इस क्षेत्र से उन्होंने ब्लाक प्रमुखी भी लड़ी।

मुस्लिम व यादव से बनता चुनावी समीकरण : फरीदपुर विधानसभा सीट मुस्लिम व यादव बाहुल्य मानी गई है। इनके समीकरण से ही चुनावी परिणाम तय होते है। यहां मुस्लिमों की संख्या करीब एक लाख दस हजार है और यादव करीब 80 हजार। इसके साथ ही दलितों की संख्या करीब 40 हजार से पार है। सपा का कैडर वोट अधिक होने के कारण प्रत्याशी इसे मुफीद व जिताऊ सीट मानते हैं।

इस बार भी बाहरी दावेदारों की संख्या अधिक : समाजवादी पार्टी के पास इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए करीब बीस आवेदन आ चुके हैं। इनमें से पूर्व विधायक डा. सियाराम सागर के परिवार से दो लोग हैं। इन्हें छोड़ दें तो बाकी आवेदनकर्ता वहां के रहने वाले नहीं हैं। गाजियाबाद के राजेश कश्यप तुरैहा, फिरोजाबाद की रिटायर्ड सीओ करन सिंह, मीरगंज के ओमप्रकाश दिवाकर, ग्रीन पार्क के रिटायर्ड प्रशासनिक अधिकारी रामेश्वर दयाल, सनराइज कालोनी के ब्रह्मस्वरूप सागर, गुलमोहर पार्क के हरीश लाखा, संजय नगर की शालिनी सिंह आदि ने आवेदन किए हैं।


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