खोज और उद्यमिता का माहौल बनाए विश्वविद्यालय
नौजवानों ने सामाजिक समस्याओं से निबटने के लिए स्टार्ट-अप शुरू किए। वे सफल भी हुए।
जागरण संवाददाता, बरेली : नौजवानों ने सामाजिक समस्याओं से निबटने के लिए स्टार्ट-अप शुरू किए। वे सफल भी हुए। विश्वविद्यालय और डिग्री कॉलेजों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने यहां स्टार्ट-अप का माहौल बनाएं, ताकि विद्यार्थी उद्यमशीलता के लिए प्रेरित हों। इसके लिए विश्वविद्यालय से लेकर डिग्री कॉलेजों में एक उद्यमिता सेल, बौद्धिक संपत्ति केंद्र बनाया जाए। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षण संस्थानों को ये निर्देश दिए हैं।
यूजीसी के सचिव प्रो. रजनीश जैन ने अपने पत्र में कहा कि संस्थान विद्यार्थियों को इंक्यूबेशन सेंटर का भ्रमण कराएं। सफल उद्यमियों को अपने संस्थान में बुलाएं। उन्हें विद्यार्थियों से रूबरू कराएं। ताकि छात्र-छात्राएं उनसे प्रेरणा लेकर अपने आइडिया पर काम शुरू कर सकें। स्टार्ट-अप से जुड़ी गतिविधियां नियमित रूप से आयोजित कराई जाएं।
रुविवि में नहीं शुरू हुआ सेंटर
रुहेलखंड विश्वविद्यालय में शासन ने एक इंक्यूबेशन सेंटर बनाया है। इसके लिए 50 लाख रुपये का बजट देने का भी निर्देश हुआ था। करीब आठ महीने के बाद भी न तो अब तक बजट मिला और न ही सेंटर शुरू हो सका।
छोटे-छोटे स्टार्ट-अप दूर करेंगे समस्या
रुविवि में प्रबंधन विभाग के डीन प्रो. पीबी सिंह के मुताबिक स्थानीय स्तर पर छोटे-छोटे स्टार्ट-अप शुरू किए जा सकते हैं। विद्यार्थी यह देखें कि उनके आस-पास क्या समस्याएं हैं। फिर मंथन करें कि ये समस्याएं कैसे दूर की जा सकती हैं। इसे स्टार्ट-अप की शक्ल देकर छोटा उद्यम स्थापित करें। निश्चित तौर पर सफलता मिलेगी।
आइवीआरआइ-आइसीआरआइ मददगार
रुविवि के प्रोफेसर एके जेटली का मानना है कि रुहेलखंड में कृषि क्षेत्र में स्टार्ट-अप शुरू करने की बड़ी संभावनाएं हैं। इसके लिए आइवीआरआइ और आइसीएआर से युवाओं को प्रशिक्षण व अन्य सहयोग मिल सकता है। युवा नया सोचें, जो अच्छा आइडिया आए। उस पर शोध करें। इसके बाद स्टार्ट-अप शुरू कर सकते हैं।