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राखी बांधने के लिए दो शुभ मुहूर्त, होगा विशेष लाभ Bareilly News

रक्षाबंधन पर सिर्फ भद्रा का ख्याल रखा जाता है। रावण की बहन ने भद्रा काल में उसे राखी बांधी जिससे उसका सर्वनाश हो गया।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 07:57 PM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2019 08:56 AM (IST)
राखी बांधने के लिए दो शुभ मुहूर्त, होगा विशेष लाभ Bareilly News
राखी बांधने के लिए दो शुभ मुहूर्त, होगा विशेष लाभ Bareilly News

बरेली, जेएनएन : रक्षाबंधन पर इस बार बहनें पूरे दिन भाइयों को राखी बांध सकेंगी। इस वर्ष रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं है। सुबह 10.22 बजे से राखी बांधने का मुहूर्त शुरू होगा, जो कि रात 8.08 बजे तक चलेगा। दोपहर और प्रदोष काल में राखी बांधने के दो शुभ मुहूर्त भी मिलेंगे।

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श्री धोपेश्वरनाथ मंदिर के ठाकुरद्वारा के आचार्य घनश्याम जोशी ने बताया कि रक्षाबंधन पर सिर्फ भद्रा का ख्याल रखा जाता है। रावण की बहन ने भद्रा काल में उसे राखी बांधी, जिससे उसका सर्वनाश हो गया। इसीलिए भद्राकाल में राखी बांधना वर्जित है। रक्षाबंधन का पौराणिक व ऐतिहासिक कथाओं में भी वर्णन है। इनमें सबसे प्रमुख माता लक्ष्मी के राजा बलि के राखी बांधने का प्रसंग है।भविष्य पुराण में पूर्णिमा के दिन ही इंद्राणी ने राजा इंद्र को रक्षा सूत्र बांधा था। वह 12 वर्ष से दानवों से चल रहे युद्ध में विजयी हुए। महाभारत में द्रौपदी के भगवान श्रीकृष्ण के राखी बांधने का प्रसंग है। 

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क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
का पर्व रक्षा एवं स्नेह का प्रतीक उत्सव है। जो व्यक्ति रक्षा सूत्र बंधवाता है, वह बांधने वाले की रक्षा का सदैव प्रण लेता है। इस पर्व को श्रावणी पूर्णिमा अथवा नारियल पूर्णिमा भी कहते है। भविष्यपुराण के अनुसार देवता एवं दानवों के बीच युद्द में दानवों का पलड़ा भारी होने से भगवान इंद्र घबराकर देवताओं के गुरु ब्रस्पतिदेव के पास गए। वहां बैठी इंद्र की पत्नी इंद्राणी अपने पति का वृतान्त सुन रहीं थीं। उन्होंने रेशम का धागा अपने मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके विजय की कामना करते हुए अपने पति के हाथ पर बांध दिया। वह श्रावण पूर्णिमा का ही दिन था। इंद्र इस युद्ध में विजयी हुए। तब से ही श्रावण पूर्णिमा के दिन यह परंपरा चली आ रही है।

इस विधि से करें व्रत 

व्रत में प्रात: देवता, पितर तथा ऋषियों का तर्पण करें। दोपहर के समय ऊनी, सूती या रेशमी पीत वस्त्र लेकर उसमें सरसों, केसर, चंदन, अक्षत रखकर बांध लें। फिर कलश स्थापना कर उस पर रक्षा सूत्र रखकर उसका यथाविधि पूजन करें। ब्राह्मण से रक्षा सूत्र को दाहिने हाथ में बंधबाना चाहिये। सामान्य परम्परा के अनुसार रक्षा बंधन के दिन बहन भाई को तिलक लगाकर हांथ में नारियल, रुमाल आदि रखकर, राखी बांधकर मिष्ठान खिलाकर मुँह मीठा करती हैं।


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