Creative Lockdown : बच्चों की बोरियत दूर करने के लिए वाट्सएप पर सुना और पढ़ा रहे कहानियां
बच्चों की बोरियत को दूर करने के लिए शहर के दो बाल साहित्यकारों ने प्रयास शुरू किए हैं। साहित्यकार डाॅ. अरशद खान व डाॅ. नागेश पांडेय बच्चों को कहानी पढ़ा व सुना रहे हैं।
शाहजहांपुर, अंबुज मिश्र। लॉकडाउन के दस दिन बीत चुके हैं। बच्चे टीवी व मोबाइल से ऊबने लगे हैं। घर के बाहर जा नहीं सकते इसलिए अब बोर होने लगे हैं। ऐसे बच्चों की बोरियत को दूर करने के लिए शहर के दो बाल साहित्यकारों ने प्रयास शुरू किए हैं। साहित्यकार डाॅ. अरशद खान व डाॅ. नागेश पांडेय बच्चों को कहानी पढ़ाने के साथ ही उन्हें कहानियां सुना भी रहे हैं। दोनों का यह प्रयोग काफी सफल हो रहा है। परिचितों के अलावा शिक्षकों, स्थानीय व अन्य दूसरे जिलों के साहित्यकारों के वाट्सएप ग्रुप पर भी इन कहानियों की पीडीएफ व ऑडियो भेजे जा रहे हैं। यह प्रयोग काफी सफल हो रहा है। बच्चों का मन न सिर्फ मन लग रहा है बल्कि उनको शिक्षा व संस्कार भी मिल रहे हैं।
तैयार किया ऑडियो व पीडीएफ
शहर के जीएफ काॅलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. अरशद खान की अब तक करीब 14 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, आठ का दूसरी भाषाओं में प्रकाशन हुआ है, हिंदी में प्रकाशित कहानियों की उन्होंने पीडीएफ तैयार कर बच्चों को उपलब्ध कराई है। इसके अलावा अन्य किताबों को भी जल्द उपलब्ध कराने की तैयारी में हैं। बाल कहानी की जो किताबें बच्चों को पढऩे के लिए मिल रही हैं उनमें मेरी प्रतिनिधि बाल कहानियां, हार किसकी जीत किसकी, बरसा खूब झमाझम पानी, हजार आंखों की प्रतीक्षा, इंद्रधनुष सतरंगा, एलियन प्लैनेट, मिकी माउस आदि शामिल हैं। इनमें से कई कहानियों के उन्होंने ऑडियो भी तैयार किए हैं।
ये कहानियां पढ़ रहे बच्चे
सुभाष नगर काॅलोनी निवासी प्रो. डाॅ. नागेश पांडेय ने अपनी करीब दस बाल कहानियों पर प्रकाशित किताबें की पीडीएफ तैयार कराई हैं। इनमें नेहा ने माफी मांगी, आधुनिक बाल कहानियां, अमरूद खट्टे हैं, मोती झरे टप-टप, भाग गए चूहे, मुझे कुछ नहीं चाहिए, दीदी का निर्णय, यस सर नो सर बाल कहानियों की पीडीएफ बच्चों को उपलब्ध कराई है। इसके अलावा उनके अलावा किशोर उपान्यास, बाल एकांकी संग्रह, बाल कविता संग्रह, बाल पहेलियां आदि भी बच्चों को जल्द मिलेंगी।