आबादी क्षेत्र में पहुंचने वाले बाघों को पकड़कर जंगल में ही किया जाएगा कैद, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में बनेगा रिवाल्डिंग सेंटर
Pilibhit Tiger Reserve News पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन की ओर से माला रेंज के जंगल में टाइगर रिवाल्डिंग सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है। कुल 2 करोड़ 79 लाख 31 हजार रुपये से बनने वाले इस सेंटर के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
बरेली, जेएनएन। Pilibhit Tiger Reserve News : पीलीभीत टाइगर रिजर्व प्रशासन की ओर से माला रेंज के जंगल में टाइगर रिवाल्डिंग सेंटर का निर्माण कराया जा रहा है। कुल 2 करोड़ 79 लाख 31 हजार रुपये से बनने वाले इस सेंटर के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जंगल से बाहर निकलकर आबादी क्षेत्र में पहुंच जाने वाले बाघ को इसी सेंटर में रखा जाएगा। अभी तक ऐसे बाघ को लखनऊ अथवा कानपुर के चिड़ियाघर में भेजना पड़ता रहा है। सेंटर बन जाने से आबादी क्षेत्र में पहुंचने वाले बाघ को ट्रैंकुलाइज करके सेंटर में छोड़ दिया जाएगा, जिससे उसे प्राकृतिक वातावरण मिल सके।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व की स्थापना होने के बाद से ही इस तरह का सेंटर बनाए जाने की आवश्यकता महसूस की जाती रही है। क्योंकि अक्सर बाघ जंगल से बाहर निकलकर खेतों तथा आबादी वाले क्षेत्रों में पहुंच जाते हैं। इससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति बन जाती है। वर्ष 2014 में पीलीभीत जिले के जंगलों को टाइगर रिजर्व घोषित किया गया। उचित संरक्षण और सुरक्षा मिलने से जंगल में बाघों की संख्या बढ़ भी काफी बढ़ गई। वर्ष 2019-20 की गणना में यहां 65 से अधिक बाघ होने की पुष्टि अधिकारिक तौर पर की जा चुकी है। तब से यह संख्या और बढ़ने की पूरी संभावना है।
टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद वर्ष 2017 में मानव-वन्यजीव संघर्ष की सबसे ज्यादा घटनाएं हुईं। उस साल करीब दर्जन भर ग्रामीणों की बाघ के हमले में जान चली गई। पिछले साल माला रेंज में आधा दर्जन से अधिक लोग बाघ के हमले में मारे गए। इस दौरान एक बाघ की भी मौत हुई। इसी कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने को टाइगर रिवाल्डिंग सेंटर तैयार कराया जाएगा। इस सेंटर में हिरन, जंगली सुअर आदि वन्यजीव भी रखे जाएंगे। वन्यजीवों के लिए तालाब विकसित होंगे। जिससे बाघ को आसानी से शिकार मिल सके। साथ ही उसे जंगल जैसा वातावरण मिले। वन्यजीवों की मानीटरिंग के लिए कैमरे भी लगाए जाएंगे।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के प्रभागीय वनाधिकारी नवीन खंडेलवाल ने बताया कि जो बाघ बार-बार जंगल से निकलकर आबादी में पहुंचने लगता है। तब लगने लगता है कि वह आबादी के बीच रहने का आदी हो रहा है। ऐसे बाघ को ही इस रिवाल्डिंग सेंटर में रखा जाएगा। वहां बाघ को जंगल जैसा प्राकृतिक वातावरण मुहैया कराया जाएगा। बाद में उस बाघ का स्वास्थ्य परीक्षण होगा। अगर वह पूरी तरह स्वस्थ है तो उसे वापस मूल जंगल में छोड़ा जाएगा। सेंटर बन जाने से ऐसे बाघ को चिड़ियाघर भेजने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।