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40 लाख खर्च के बाद भी नहीं पकड़ में आई बाघिन अब 25 से रबर फैक्‍ट्री मेंं फिर डेरा डालेगी विशेषज्ञाेें की टीम

वन विभाग केवल बाघिन को फैक्ट्री परिसर से कहीं और न जाने देने में कामयाब रहा है। बाघिन को ट्रेंक्युलाइज कर सुरक्षित पकड़ने के लिए 25 नवंबर को कानपुर वन्य जीव प्राणी उद्यान के वन्यजीव विशेषज्ञ डा. आरके शर्मा का आना प्रस्तावित है।

By Samanvay PandeyEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 06:46 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 06:46 PM (IST)
तीन दिन वार्ता के बाद ही आएगी वाइल्ड लाइफ इंस्टीटूयूट की टीम

बरेली, जेएनएन : फतेहगंज पश्चिमी की बंद रबर फैक्ट्री में 13 मार्च से बाघिन घूम रही है। जिसे पकड़ने के लिए चार से अधिक बार ऑपरेशन टाइगर चलाया गया है। बाघिन को पकड़ने में विभाग अब तक करीबन 40 लाख रुपये भी खर्च कर चुका है। लेकिन अभी तक बाघिन को पकड़ने में सफलता हासिल नहीं हुई है। वन विभाग केवल बाघिन को फैक्ट्री परिसर से कहीं और न जाने देने में कामयाब रहा है। बाघिन को पकड़ने के लिए अब एक बार फिर से ऑपरेशन टाइगर शुरू होने जा रहा है।

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मुख्य वन संरक्षक ललित कुमार वर्मा ने बताया कि बाघिन को ट्रेंक्युलाइज कर सुरक्षित पकड़ने के लिए 25 नवंबर को कानपुर वन्य जीव प्राणी उद्यान के वन्यजीव विशेषज्ञ डा. आरके शर्मा का आना प्रस्तावित है। उनके साथ पीलीभीत टाइगर रिजर्व के वन्यजीव विशेषज्ञ डा. दक्ष गंगवार मिलकर फैक्ट्री एरिया का निरीक्षण कर आगे की तैयारी करेंगे। जबकि उनके आने के बाद ही वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट देहरादून के विशेषज्ञों से भी बात की जाएगी। इस बार विभाग वृहद रूप से ऑपरेशन चलाकर बाघिन को सुरक्षित पकड़ना चाहता है।

 सबसे पहले 13 मार्च को रबर फैक्‍ट्री में दिखी थी बाघिन 

13 मार्च को बंद रबर फैक्ट्री में सबसे पहले बाघिन दिखी थी। जिसे पकड़ने के लिए सबसे पहले डब्ल्यूटीआइ और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की टीम के साथ पीलीभीत टाइगर रिजर्व और कानपुर वन्यजीव प्राणी उद्यान के विशेषज्ञ लगाये गए। लॉकडाउन में विशेषज्ञ लौट गए थे। अन्य कर्मचारी तैनात रहे। बाघिन का मूवमेंट न बदले इसके लिए उसके शिकार की व्यवस्था, उसे पकड़ने के लिए पिंजरा, ट्रेंक्‍युलाइज रूम, सेंसर कैमरे, जीएसएम अलार्म वायरलेस कैमरा, ड्रोन, आदि में रुपये खर्च किए गए। लॉकडाउन में ही दुधवा नेशनल पार्क के भी विशेषज्ञ रबर फैक्ट्री पहुंचे। चार बार चल चुके ऑपरेशन टाइगर में डब्ल्यूआइआइ देहरादून, दुधवा नेशनल, पीलीभीत टाइगर रिजर्व, कानपुर चिड़ियाघर के विशेषज्ञ समेत कुल 93 लोग लग चुके हैं। जिनके रुकने से लेकर खाने व आने-जाने आदि पर अधिक रुपये खर्च हुए हैं। विभाग के मुताबिक अब तक बाघिन पर करीबन 40 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। मुख्य वन संरक्षक ललित कुमार वर्मा का कहना है कि फतेहगंज पश्चिमी की बंद रबर फैक्ट्री में घूम रही बाघिन को पकड़ने के लिए 25 नवंबर को कानपुर जू के वन्यजीव विशेषज्ञ का आना प्रस्तावित है। जिनके आने के बाद ऑपरेशन टाइगर एक बार फिर से शुरू होगा। 


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