पीलीभीत टाइगर रिजर्व के एसडीओ पर झपटा बाघ, अनुभव से बचाई अपनी जान, जानिए कैसे
पीलीभीत टाइगर रिजर्व के एसडीओ ने अपने अनुभव से बाघ द्वारा किए गए अचानक हमले से खुद की जान बचा ली। छिपे बाघ ने यह हमला उस वक्त किया जब एसडीओ जंगल में पड़ी नीलगाय का शव उठवा रहे थे।
पीलीभीत, जेएनएन। Pilibhit Tiger Reserve : पीलीभीत टाइगर रिजर्व के एसडीओ ने अपने अनुभव से बाघ द्वारा किए गए अचानक हमले से खुद की जान बचा ली। छिपे बाघ ने यह हमला उस वक्त किया जब एसडीओ जंगल में पड़ी नीलगाय का शव उठवा रहे थे। हालांकि इस हमले वह और अन्य वन कर्मचारी बाल बाल बच गए।
सूचना पर पहुंचे थे जंगल
पीटीआर के माला क्षेत्र के उप प्रभागीय वनाधिकारी (एसडीओ) उमेश चंद्र राय शुक्रवार को देर शाम जंगल के निकट एक गांव में ग्रामीणों को पर्यावरण एवं वन्यजीवों के प्रति जागरूक कर रहे थे। इसी दौरान उन्हें सूचना मिली कि जंगल के एक हिस्से में एक नीलगाय का शव पड़ा हुआ है। इस एसडीओ तुरंत जंगल में रवाना हो गए। वहां उन्होंने नीलगाय का शव कब्जे में ले लिया।
गाडी लगवाते वक्त किया हमला
एसडीओ ने कुछ कर्मचारियों को बुलाया और नीलगाय के शव को दूसरी जगह गड्ढे में दफनाने के लिए गाड़ी पर लगाने लगे। तभी निकट की झाड़ी में बैठे बाघ ने एसडीओ व उनके साथ मौजूद कर्मियो पर हमला कर दिया। गनीमत रही कि अनुभवी अधिकारी होने के कारण एसडीओ ने अपनी जान बचाई और कर्मचारियों को भी बाघ से दूर रखने में सफल रहे। बाघ को देखकर शोर मचाने लगे और जमीन पर डंडे लाठी की आवाज की। इसके बाद बाघ भाग खड़ा हुआ।
इसलिए तुरंत हटवाया जाता है शव
बाघ जिस जानवर का शिकार करता है तो उसके पास दुबारा आता है। इस दौरान शिकारी या अन्य ग्रामीण उसके शव पर जहर डाल सकता है। ऐसी स्थिति में जब बाघ दोबारा अपने शिकार के पास पहुंचकर उसका मांस खाएगा तो जहर का असर उसमें पहुंच सकता है। इसी कारण मृत जानवर का शव हटा दिया जाता है। इसी के तहत जंगल में नील गाय के शव को हटाने की प्रक्रिया चल रही थी। एसडीओ के अनुसार उन लोगों के समक्ष ऐसी स्थितियां आती रहती हैं।