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भारत और जर्मन सरकार के इस प्रोजेक्ट से सुधरेगा झांसी, मथुरा, बाराबंकी, सहित बरेली में गिरता भूगर्भ जल स्तर

भारत और जर्मन सरकार ने साझा प्रोजेक्ट वाटर सिक्योरिटी एंड क्लाइमेट एडॉप्टेशन (वासका) शुरू किया है। इसका मुख्य उद्देश्य भूगर्भ जल के गिरते स्तर को सुधारना है। ग्रामीण जल शक्ति मंत्रालय नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने संयुक्त रूप से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है।

By Ravi MishraEdited By: Published: Tue, 19 Jan 2021 09:45 AM (IST)Updated: Tue, 19 Jan 2021 09:45 AM (IST)
भारत और जर्मन सरकार के इस प्रोजेक्ट से सुधरेगा झांसी, मथुरा, बाराबंकी, सहित बरेली में गिरता भूगर्भ जल स्तर

बरेली, अंकित गुप्ता। भारत और जर्मन सरकार ने साझा प्रोजेक्ट वाटर सिक्योरिटी एंड क्लाइमेट एडॉप्टेशन (वासका) शुरू किया है। इसका मुख्य उद्देश्य भूगर्भ जल के गिरते स्तर और असमय बदलती जलवायु को सुधारना है। ग्रामीण मंत्रलय, जल शक्ति मंत्रलय और जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने संयुक्त रूप से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। इसमें उप्र, मप्र, राजस्थान, कर्नाटक व तमिलनाडु प्रदेश को जोड़ा गया है। उप्र में मथुरा व बाराबंकी के सभी गांव, जबकि बरेली और झांसी के तीन ब्लाक के 25-25 गांव को शामिल किया गया है।

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देश में जलवायु परिवर्तन और गिरते जा रहे भूगर्भ जल स्तर को देखते हुए केंद्र सरकार ने 2019 में वासका प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। अब तक राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक प्रदेश के जिलों में इस योजना के तहत काम चल रहा था, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में इस पर तेजी से काम शुरू किया गया। इसमें राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को नोडल विभाग बनाया गया है। वासका के अधिकतर कार्यों को मनरेगा के तहत ही किए जाने की योजना है।

मनरेगा के अपर आयुक्त योगेश कुमार ने 2021-22 के मनरेगा बजट में वासका योजना के तहत किए जाने वाले कार्यों को अलग स्थान दिया है। इस बार मनरेगा बजट भी पहले से काफी बढ़ाकर बनाया है। जिले में इस बार 170 करोड़ का मनरेगा बजट बनाया गया है। जिले में चयनित किए गए रामनगर, मझगवां और फतेहगंज पश्चिमी ब्लाक के 25-25 गावों का प्रथम चरण का सर्वे इसरो द्वारा संचालित भू-वन सैटेलाइट से किया जा चुका है। वासका से जुड़े लोगों ने बताया कि जिले में कराए जाने वाले कार्यों की डीपीआर तैयार कर ली है।

वासका के कार्यो को 2020-21 के मनरेगा बजट में अलग से लिया गया है। इसके बारे में अब तक जो जानकारी है, उसके हिसाब से जिले में सोकपिट टैंक, तालाबों का रिचार्जिंग सिस्टम, रूफ टॉप वॉटर हार्वे¨स्टग सिस्टम का काम भी शुरू करा दिया है। ग्रीन लैंड, कैनाल, डैम आदि बनाए जाने का काम भी जल्द शुरू होंगे। -गंगाराम वर्मा, डीसी मनरेगा

अब तक मथुरा और बाराबंकी में धरातलीय सर्वे चल रहा था। कोविड के चलते यहां काम रुका रहा। लेकिन भूवन सेटेलाइट के जरिए यहां का सर्वे किया जा चुका है। जल्द ही दिल्ली की टीम यहां आकर धरातलीय निरीक्षण, जिला प्रशासन के साथ बैठक आदि करेगी। साथ ही कुछ किसानों, कर्मियों आदि को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। -कृष्ण त्यागी, प्रोजेक्ट मैनेजर, वासका

भूगर्भ जल स्तर के लिए: नालियों का निर्माण, सोकपिट टैंक का निर्माण, तालाब का पानी तालाब में रोकने के इंतजाम, रूफ टॉप वॉटर हार्वे¨स्टग, पेयजल पनघट योजना, खेत में तालाबों का निर्माण आदि।

जलवायु परिवर्तन सुधार के लिए: ऊसर भूमि में कैनाल का निर्माण और जीर्णोद्धार, कैनाल प्लांटेशन, सिंचाई सोकपिट, कटल शेड, वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के इंतजाम, डैम बनाने का कार्य, नर्सरी डेवलेपमेंट, घास का बीजारोपण, प्लांटेशन, मार्गो पर पौधारोपण, रैखिक पौधारोपण आदि।


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