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नगर विकास : UP के इस महापौर ने नगर आयुक्त से मांगा 604 करोड़ का हिसाब Bareilly News

महापौर डॉ. उमेश गौतम ने नगर आयुक्त से नगरीय विकास 2019-20 में मिले 604 करोड़ रुपये का हिसाब मांग लिया है। तीन दिन का समय दिया है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 08:27 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 01:56 PM (IST)
नगर विकास : UP के इस महापौर ने नगर आयुक्त से मांगा 604 करोड़ का हिसाब Bareilly News
नगर विकास : UP के इस महापौर ने नगर आयुक्त से मांगा 604 करोड़ का हिसाब Bareilly News

जेएनएन, बरेली : शहर में विकास, सफाई, पानी आदि के कार्य भले ही ठहरे हों, लेकिन महापौर व नगर आयुक्त के बीच तकरार गतिमान है। नगर निगम का मुखिया होने के बावजूद महापौर को यह जानकारी नहीं थी कि शासन से विकास कार्यों के लिए मोटी रकम जारी हुई। लखनऊ में चार नवंबर को नगर विकास मंत्री की बैठक में इसकी जानकारी हुई तो उनकी नाराजगी सामने आ गई। महापौर डॉ. उमेश गौतम ने नगर आयुक्त से नगरीय विकास 2019-20 में मिले 604 करोड़ रुपये का हिसाब मांग लिया है। तीन दिन का समय दिया है।

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अाठ नवंबर तक मांगा जवाब : नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन की अध्यक्षता में सोमवार को समीक्षा बैठक थी। इसमें अर्बन डेवलपमेंट 2019-20 के मद में नगर निकायों को दिए गए बजट की जानकारी भी दी गई। इसी को आधार बनाकर महापौर डॉ. उमेश गौतम ने नगर आयुक्त को भेजे पत्र में कहा है कि उन्हें नगरीय विकास के चार्ट को देखने से पता चला है कि नगर निगम को विभिन्न मदों में शासन ने 604 करोड़ 53 लाख रुपये का बजट उपलब्ध कराया है। बताएं कि इस धनराशि से क्या कार्य हो रहे हैं। अब तक कितनी धनराशि खर्च हो चुकी है। कितनी धनराशि अब तक व्यय होनी है, नगर निगम के कोष में इस मद की कितनी रकम शेष बची है। यह सूचना आठ नवंबर तक देने के लिए कहा है।

शासन से जानकारी मिली है कि शहर में विकास के लिए विभिन्न मदों पर 604 करोड़ रुपये मिला है। अब तक नगर निगम के अधिकारियों ने कोई काम नहीं किया। अगर काम होंगे तभी तो शहर का विकास होगा। अधिकारियों में आपस में ही सामंजस्य नहीं है। इस कारण शहर में विकास कार्य रुके हुए है। -डॉ. उमेश गौतम, महापौर

फिर शुरु हुआ विवाद : नगर निगम में जनप्रतिनिधि बनाम नौकरशाही का विवाद टकराव के नए मुद्दे के साथ फिर हाजिर हो गया। इस तकरार ने की गूंज शहर की सड़कों से लेकर राजधानी तक पहुंची। जिम्मेदारों से नगर में विकास, सुख-सुविधाएं मुहैया कराने की उम्मीद थी। विकास पीछे छूट गया और विवादों की लपटों ने उम्मीदों को राख कर दिया।

पोर्टेबल शॉप प्रकरण खूब उछला : नगर आयुक्त सैमुअल पॉल एन के आने के बाद सबसे पहले पोर्टेबल शॉप का प्रकरण उठा। जिला पंचायत रोड पर दुकानें रखने में गड़बड़ी एक पार्षद और एक व्यापारी पर रिपोर्ट दर्ज कराई तो सारे पार्षद विरोध में उतरे। निगम में कई दिन तक धरना प्रदर्शन हुआ। कई पार्षदों पर मुकदमा लिखा तो धरना समाप्त हुआ।

महापौर पर भी एफआइआर : तकरार तक उभरे कि महापौर ने एक गाय छोड़ने को नगर स्वास्थ्य अधिकारी से कहा लेकिन उन्होंने गाय नहीं छोड़ी। महापौर नगर स्वास्थ्य अधिकारी को नगर आयुक्त के कक्ष से जबरन ले गए। मामले में महापौर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी गई।

कान्हा उपवन पर भी रार : बीते दिनों महापौर ने अचानक कान्हा उपवन का निरीक्षण किया तो वहां तीन गोवंश मरे पाए और व्यवस्थाएं खराब पाई। इस पर उन्होंने अधिकारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक को पत्र भेज दिया। इस पर नगर आयुक्त ने महापौर की मंशा को गलत बताते हुए शासन को सूचना दी। फिलहाल दोनों में तनातनी बनी हुई है।

विवाद से विकास पर असर : करीब महीने भर पहले नगर निगम ने स्मार्ट सिटी के तहत मल्टीलेवल पार्किग समेत अन्य के भूमि के प्रस्ताव बोर्ड की बैठक में लगाए थे। बोर्ड ने इन्हें सहमति नहीं दी। कार्यकारिणी की बैठक भी बजट पर चर्चा के बजाय सूचनाएं नहीं देने का सवाल खड़ा कर निरस्त हो गई।

महापौर ने कड़े शब्दों के साथ भेजे पत्र: महापौर डॉ. उमेश गौतम ने बीते दिनों मुख्य अभियंता को को पत्र लिखकर 14वें वित्त आयोग के तहत मिले बजट के काम नहीं होने पर नाराजगी जताई। टेंडर निकालने में घपले के आरोप लगाए और ब्योरा तलब कर लिया। कई बार पत्र लिखने के बावजूद बांसमंडी में निगम की जमीन से अतिक्रमण नहीं हटाए जाने पर सरकार की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया। नगर आयुक्त सैमुअल पॉल एन ने मामले में कुछ भी बोलने से मना कर दिया।


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