Highway : बरेली सीतापुर फोरलेन पर हादसों को आमंत्रण देते अधर में लटके ये आठ पुल Bareilly News
अधूरे पुलों पर वाहन दौड़ाने लगे। खतरनाक बात यह है कि इन पुलों के किनारे न तो रेलिंग लगी है और न अन्य सुरक्षा इंतजाम हैं।
जेएनएन, बरेली : बरेली से सीतापुर तक प्रस्तावित फोरलेन पर आबादी क्षेत्रों के बीच आठ बड़े पुल बनाने का प्रस्ताव था। काम शुरू हुआ तो इन सभी पुलों को बना दिया गया, मगर दो साल पहले इन्हें अधूरा छोड़ा गया जोकि अब तक ऐसे ही हैं। जाम से जूझते राहगीरों को रास्ता नहीं सूझा तो इन्हें अधूरे पुलों पर वाहन दौड़ाने लगे। खतरनाक बात यह है कि इन पुलों के किनारे न तो रेलिंग लगी है और न अन्य सुरक्षा इंतजाम हैं।
नहीं बंद किया गया आवागमन
रात में वाहन का पहिया लेन किनारे है या पुल के नीचे की ओर जा रहा, यह तक देखा जा सकता। कई हादसे हो चुके हैं मगर इन पुलों से आवागमन बंद नहीं किया गया क्योंकि दूसरा रास्ता नहीं। काम पूरा इसलिए नहीं हुआ क्योंकि एनएचएआइ के अधिकारियों को सुरक्षा इंतजाम से ज्यादा चिंता एस्टीमेट बढ़वाने और टेंडर में उलझने की रही। पिछले डेढ़ साल से काम बंद है। भरपूर रकम जारी की जा चुकी है, मगर काम दोबारा शुरू नहीं कराया जा सका। जैसे-तैसे पिछले महीने टेंडर हो गए मगर अभी यह तय नहीं हो सका कि काम कब शुरू होगा। कयास भर लग रहे कि जनवरी में अधूरा काम दोबारा शुरू कराया जा सकता है।
इन पुलों का काम अधूरा बीसलपुर रोड का पुल
फरीदपुर बाईपास पर बीसलपुर रोड के ऊपर से जा रहे पुल का काम अधूरा है। बारिश में इसके किनारों की मिट्टी धंसी, जिसे अब तक ठीक नहीं कराया गया। अधूरे पुल पर वाहन दौड़ाने का नतीजा यह हुआ था कि पिछले साल शव लेकर जा रही वैन नीचे गिर गई थी।
डिग्री कॉलेज का पुल : इस अधूरे पुल पर भी हादसा हो चुका है। इसी साल मई में रात को लखनऊ की ओर जा रही रोडवेज की बस के दो पहिये इस पुल के किनारे से नीचे उतर गए थे। तड़के तीन बजे तक चालक यह अंदाजा नहीं लगा सका कि पुल पर दौड़ाते वक्त बस का पहिया कहां है। रेलिंग नहीं लगी होने या लेन किनारे पट्टी नहीं बनाए जाने से यह हादसा हुआ था। असंतुलित बस में बैठी छह सवारियां घायल हो गईं थीं।
चीनी मिल का पुल : द्वारिकेश शुगर मिल के सामने बना पुल भी अब तक अधूरा है। उस पर आवगमन रोकने के लिए बैरियर लगाए गए थे मगर आसपास के गांव वालों ने हटा दिए। वाहन दौड़ाने लगे। इस पुल पर भी सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं।
टिसुआ का पुल : चीनी मिल से तीन किमी की दूरी पर ही एक और पुल बना है। टिसुआ गांव से पहले बनाए गए इस अधूरे पुल का रास्ता भी बेहद खतरनाक है। अधूरा काम छूटने के कारण सडक धंसने लगी है। गहरे गड्ढे हो चुके हैं।
फतेहगंज पूर्वी कस्बे का पुल : कस्बे के अंदर बनाए गए पुल के किनारों पर भी सुरक्षा के इंतजाम नहीं। संकेतक तक नहीं लगाए गए। लेन किनारे सफेद पट्टी होनी चाहिए थी, मरम्मत के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए लेकिन पट्टी फिर भी नहीं बनाई गई।
अन्य पुलों की स्थिति
इसके अलावा हुलासनगरा पुल का नहीं बनाया जाना सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। कटरा, तिलहर में बनाए गए पुल भी अधूरे ही हैं। तिलहर में तो पुल की आधी रोड तक नहीं डाली गई है। हालांकि वाहन उसी कच्चे रास्ते पर दौड़ रहे।
ये कहते है राहगीर
आए दिन जाम लगता है। मजबूरन लोग कस्बे में बने पुल के ऊपर से गुजरते हैं मगर वहां सुरक्षा के इंतजाम नहीं हैं। यह खतरनाक है मगर राहगीर परेशान भी क्या करें। अधूरे पुल का काम जल्द पूरा होना चाहिए।
प्रदीप अग्रवाल, चेयरमैन, फतेहगंज पूर्वी
हाईवे पर पुलों का काम अधूरा है, मरम्मत के नाम पर कहीं कहीं सफेद पट्टी बना दी जाती हैं मगर अधूरे पुलों पर तो वह भी नहीं होता। संकेतक तक नहीं लगाए गए।
अभिषेक मिश्र, फतेहगंज पूर्वी
अधूरे पुलों पर कई हादसे हो चुके हैं। सड़क टूट गई है। उस पर वाहन दौड़ाना मजबूरी हैं क्योंकि इन पुलों को बनाने के लिए पुरानी सड़क तोड़कर अंडरपास बना दिए गए। अब अधूरे पुल खतरे का सफर साबित हो रहे।
उस्मान अली, फतेहगंज पूर्वी
फतेहगंज पूर्वी तक पांच पुल बने हैं, सभी अधूरे हैं। डर लगता है क्योंकि किनारे पर न तो रेलिंग है और न लाइटें। जब तक फोरलेन नहीं बन रहा, उससे पहले पुलों का सफर ही सुरक्षित कर दिया जाए।
प्रवीण अग्रवाल, फतेहगंज पूर्वी
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बरेली-सीतापुर फोरलेन निर्माण के लिए टेंडर हो चुका है। आगरा की कंपनी को काम दिया गया है। जल्द ही काम शुरू होगा। काम पूरा करने के लिए कंपनी को 18 माह का समय दिया गया है। एनपी सिंह, परियोजना निदेशक, एनएचएआइ