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पानी की कहानी, बूंद-बूंद ऐसे है बचानी

पानी की जितनी ज्यादा जरूरत उतनी ही फिक्र भी। बूंद-बूंद कैसे बचानी है यह बरेली के इज्जतनगर रेल मंडल के यांत्रिक कारखाना से सीख लीजिए। यहां रोजाना 90 हजार लीटर पानी का उपयोग किया जाता है जिसमें से

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 02:31 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 02:31 AM (IST)
पानी की कहानी, बूंद-बूंद ऐसे है बचानी
पानी की कहानी, बूंद-बूंद ऐसे है बचानी

बरेली, अंकित शुक्ला : पानी की जितनी ज्यादा जरूरत, उतनी ही फिक्र भी। बूंद-बूंद कैसे बचानी है, यह बरेली के इज्जतनगर रेल मंडल के यांत्रिक कारखाना से सीख लीजिए। यहां रोजाना 90 हजार लीटर पानी का उपयोग किया जाता है, जिसमें से 80 हजार लीटर पानी की रिसाइक्लिंग कर फिर से प्रयोग में लाया जाता है ।

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इज्जतनगर में रेल कारखाना, ट्रेन कोच, मशीन धुलाई और शौचालय, गार्डन, पार्क, स्प्रिंग वॉश टैंक, एक्सेल बॉक्स क्लीनिंग प्लांट की सफाई में एक साल पहले रोज करीब 170 हजार लीटर पानी खर्च होता था। रेलवे अपने कारखानों की ग्रेडिंग करा रहा है। इसमें हर मानक को परखा जा रहा है। पानी की ऑडिट हुई तो इस खर्च को बहुत ज्यादा माना गया। इसकी बचत के लिए सालभर पहले तय हुआ कि पानी का दोहरा उपयोग किया जाए। पहला यह कि रेल कारखाना, ट्रेन कोच, मशीन धुलाई आदि में प्रेशर की जरूरत होती है इसलिए इस उपयोग को पानी सीधे जमीन से खींचा जाए। अन्य कार्यो में व्यय होने वाले पानी को रिसाइकिल कर इस्तेमाल किया जाए। इसके बाद वाटर मीटर लगाकर करीब 90 हजार लीटर पानी जमीन से निकाला जाने की सीमा तय हो गई।

पानी के उपयोग में गड़बड़ी तो नहीं हो रही इस पर नजर रखने के लिए पुख्ता व्यवस्था की गई। यहां 30 वाटर मीटर लगाए गए। दो इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लाट (ईटीपी) बनाए। इंजीनियरिग एक्सपर्ट सहित दर्जनभर लोगों की टीम बनाई। इस टीम ने जरूरत को देखते हुए तय किया कि रोजाना करीब 90 हजार लीटर पानी ही जमीन से खींचा जा सकेगा। मॉनीटरिग के लिए भी एक टीम को जिम्मा दिया गया। यह हर शाम सभी 30 मीटरों की रीडिंग लेती है कि किस विभाग में कितना पानी जमीन से लिया गया। कुल 90 हजार लीटर पानी पहले धुलाई जैसे कार्यो में किया जाता है। यहां से यह ईटीपी में जाता है। वहां से 80 हजार का उपयोग रिसाइक्लिंग के बाद अन्य कार्यो में किया जाता है।

हर सप्ताह समीक्षा

वाटर मीटर रीडिंग रोजाना एक रजिस्टर में चढ़ाई जाती है। हर सप्ताह समीक्षा होती है। किसी भी दिन 90 हजार लीटर से ज्यादा पानी उपयोग होने पर जवाब देना होता है। कर्मचारियों को पानी का महत्व बताते हुए संरक्षण की आदत डाली जा रही है। अगले चरण में वाटर मीटर की व्यवस्था आवासों के लिए भी करने की तैयारी है। कारखाना में दो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम भी लगाए गए हैं।

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सभी लाइन में 30 वाटर मीटर लगवाकर देखा जा रहा कि कौन कितना पानी खर्च कर रहा है। एक-एक बूंद का हिसाब रखा जा रहा है। ईटीपी के जरिये उपयोग हो चुके पानी का भी इस्तेमाल कर रहे। ऐसा न होता तो यह पानी भी जमीन से खींचा जा रहा होता।

- राजेंद्र सिंह, जनसंपर्क अधिकारी, इज्जतनगर रेल मंडल


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