किशन सरोज : पंचतत्व में विलीन हुआ साहित्य का सितारा Bareilly News
साहित्य भूषण गीतकार-कवि किशन सरोज गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हुए। सिटी शमशान भूमि में उनका अंतिम संस्कार हुआ। उनके पुत्र अजिताभ सक्सेना ने उन्हें मुखाग्नि दी।
जेएनएन, बरेली : साहित्य भूषण गीतकार-कवि किशन सरोज गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हुए। सिटी शमशान भूमि में उनका अंतिम संस्कार हुआ। उनके पुत्र अजिताभ सक्सेना ने उन्हें मुखाग्नि दी। रागात्मक भाव के गीतकार-कवि किशन सरोज ने चार सौ से ज्यादा गीतों की रचनाएं की। उनका गीत संग्रह ‘चंदन वन डूब गया’ सर्वाधिक लोकप्रिय हुआ।
छह माह से बीमार थे किशन सरोज : उनके छोटे पुत्र सचिन सक्सेना के अनुसार किशन सरोज करीब छह माह से बीमार थे। मंगलवार को परेशानी होने पर उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। स्वास्थ्य लाभ न होने पर परिजन उन्हें वापिस घर ले आए थे । जिसके बाद आजादपुरम स्थित अपने आवास पर बुधवार दोपहर उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
रागात्मक भाव के अनूठे कवि थे किशन : गीत विधा के रागात्मक भाव के कवि किशन सरोज ने सैकड़ों गीत लिखे। उनके गीत अनूठे थे।
आकाशवाणी में दो वर्ष तक गूंजते रहे गीत : सन 1959 में उन्होंने लिखना प्रारंभ किया। गुलाबराय इंटर कालेज में प्रेम बहादुर प्रेमी और सतीश संतोषी को सुनने के बाद उनका कविता में रुझान बढ़ा था। किशन सरोज का सबसे चर्चित गीत ‘चंदन बन डूब गया’ का पूरे दो वर्ष तक आकाशवाणी में प्रसारण हुआ। साहित्यकार डॉ. प्रदीप जैन ने किशन सरोज पर आधारित पुस्तक ‘मैं तुम्हें गाता रहूंगा’ लिखी।
सबसे अधिक लोकप्रिय हुए उनके ये गीत : चंदन वन डूब गया... गीत कवि की व्यथा... ताल सा हिलता रहा मन ... अनसुने अध्यक्ष हम... तुम निश्चिंत रहना... नींद सुख की फिर हमें सोने न देगा ।
चंदन वन डूब गया जैसे अमर गीत के रचयिता मेरे हमदर्द किशन सरोज ने शायद इसीलिए यह गीत लिखा था कि मेरी मुश्किल आसान हो जाए। वाकई आज चंदन वन डूब गया। बरेली वासियों के लिए यह गम बहुत बुरा है। मालिक उनकी आत्मा को शांति दे। प्रो. वसीम बरेलवी, अंतरराष्ट्रीय शायर