जय हिंद : इन गांवों की माटी में देशभक्ति की खुशबू Bareilly News
कई साल से गांव में ऐसा ही माहौल है। लड़के जवान होते हैं तो उनके दिमाग में सबसे पहले सेना में जाने की बात ही कौंधती है।
बरेली [रवि मिश्र] : फौजियों वाला गांव...त्रिशूल एयरबेस के पास बसे कंजादासपुर गांव की पहचान यही है। करीब चार सौ परिवार हैं, इनमें से पचास ऐसे हैं जिनकी चौखट में सैनिक रहते हैं। कुछ इस वक्त सरहद की मुस्तैदी में लगे हैं तो कुछ अपना फर्ज निभाकर लौट आए। अब गांव की नई पीढ़ी को इसके लिए तैयार कर रहे।
घनघोर कोहरा हो या बारिश, गांव में सुबह पांच बजे जाएंगे तो युवाओं की टोलियां दौड़ लगाती दिखेंगी। जानते हैं क्यों, क्योंकि उनमें सेना में जाने की ललक है। यहां रहने वाले रिटायर्ड कर्नल शौकत अली कहते हैं कि कई साल से गांव में ऐसा ही माहौल है। लड़के जवान होते हैं तो उनके दिमाग में सबसे पहले सेना में जाने की बात ही कौंधती है। मेरे घर में भी ऐसा ही था। स्नातक की पढ़ाई के साथ-साथ बेटे अस्मत अली ने सेना में जाने की तैयारी की। अब वह मेजर हैं। मुझे खुशी होती है कि उन्होंने मेरे फैसले को ही अपनाया।
शौकत अली बताते हैं कि जब वह गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे उस वक्त शिक्षक हमें सेना में जाने के लिए प्रोत्साहित करते थे। त्रिशूल एयरबेस के आसपास रहने से भी गांव का माहौल काफी बदला। एयरबेस के लोग यहां दूध लेने आते थे। बैठते थे तो सेना की जांबाजी की बातें करते थे। मैं और मेरे हमउम्र युवा बड़े गौर से उनकी बातें सुनते। उनके बाद वही लोग हमें पढ़ाने के लिए आने लगे। आज भी, बगल में जब एयरबेस के विमान उड़ते हैं तो गांव के युवा उत्साहित होते हैं। दो दर्जन से ज्यादा लड़के तैयारी में लगे हैं। रिटायर्ड सैनिक उनकी मदद करते हैं ताकि वे भी सरहद पर तैनात होकर वतन की रक्षा करें।
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