क्राइम रडार : ‘टाइगर’ की दहाड़ बड़े साहब के लिए बनी टेंशन का सबब
‘टाइगर’ यानी एसपी सिटी बरेली आने के बाद से लगातार चर्चा में हैं। सेल्यूट तो कभी खबरनवीसों से रात को फोन न करने की बात कहकर चर्चा का सबब बन चुके हैं।
अंकित गुप्ता, जेएनएन। ‘टाइगर’ यानी एसपी सिटी बरेली आने के बाद से लगातार चर्चा में हैं। सेल्यूट तो कभी खबरनवीसों से रात को फोन न करने की बात कहकर चर्चा का सबब बन चुके हैं। अब ‘टाइगर’ अपने हालिया एक्शन की वजह से बड़े साहब के लिए भी टेंशन का सबब बन चुके। दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर लॉकडाउन हुआ तो ‘टाइगर’ पहले कार के अंदर बैठकर ही गश्त करते थे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से लॉक डाउन हो गया। इस पर उन्हें सड़कों पर निकलकर गश्त करने को कहा गया। ‘टाइगर’ सड़क पर उतरे तो सीधे श्यामगंज पहुंचे। उन्हें देख बाजार में सन्नाटा ¨खच गया। कोतवाली रोड पर एक व्यापारी ने नियम नहीं माना और ‘टाइगर’ को रिश्तेदारी बताई तो जेल की हवा खिला दी। अब वे कुछ पार्षदों से उलझने के बाद फिर चर्चा में हैं। टाइगर की दहाड़ की गूंज बड़े साहब तक पहुंची तो वो भी परेशान हो उठे।
दस फोटो और लो पर एक और केला दो :
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन किया गया था। साफ निर्देश थे कि लोग घरों में ही रहेंगे। ऐसे में गरीब, मजदूर, असहाय और बेसहारा लोगों के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया। इस पर पुलिस ने खुद और समाजसेवी संगठनों का सहयोग लेकर जरूरतमंद लोगों को खाना बांटना शुरू किया। पुलिस ने शासन तक जानकारी भेजने के लिए गरीबों को खाना खिलाते हुए फोटो खिंचवाई। लेकिन इसके बाद तो छोटे, बड़े और मझोले समाजसेवियों की लाइन लग गई। बुधवार को शहर के एक बड़े सेठ जी पुत्र गाड़ी में कुछ दर्जन केला और लंच पैकेट लेकर अपने साथियों के साथ घूमने निकल पड़े। जरूरतमंद व्यक्ति नजर आया तो उसे एक केला देकर दस फोटो खिंचवा लेते। मांगने पर भी दूसरा केला नहीं दिया। गाड़ी आगे बढ़ी तो बरबस वह गरीब बोल ही पड़ा दस फोटो और खिंचवा लेते साहब पर भूख मिटाने भर के केले तो देते।
पुलिस की गाड़ी देखकर ही जिम्मेदारी :
जिस संक्रमण से पूरी दुनिया परेशान है। छोटी-छोटी आबादी वाले देशों में संक्रमित लोगों की संख्या हजारों में पहुंच गई। वहीं भारत में संक्रमण काफी हद तक काबू में रहा। हालांकि तब्लीगी जमात के लोगों ने पिछले कुछ दिनों में माहौल बिगाड़ कर संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ा दी। संकट के इस दौर में हमें, आपको और देश के हर नागरिक को जिम्मेदार बनना चाहिए। यह वक्त घर में रहने और दूसरों को इसके लिए जागरूक करने का है। शहर के सुभाष नगर व अन्य स्थानों से जब पुलिस अफसरों की गाड़ियां गुजरती हैं तब वहां सन्नाटा दिखता है। पुलिस अधिकारी भी सोचते हैं कि लोग जिम्मेदारी निभा रहे हैं। लेकिन गाड़ियों के जाते ही फिर से लोग भीड़ लगा लेते। अब पुलिस समझा रही कि भीड़ लगाना, अफसरों से धोखा नहीं, बल्कि खुद से गद्दारी जैसा है। यह वक्त जिम्मेदारी निभा कर देश को महामारी से बचाने का है।
‘व्यवस्था’ ने बढ़ाई परेशानी :
कोरोना के चलते लॉकडाउन में सब बंद है। ऐसे में जिले के इंस्पेक्टर, दारोगा और सिपाही कुछ ज्यादा ही परेशान है। ऐसा नहीं कि दिक्कत व्यवस्था संभालने में हो रही। परेशानी का सबब बने हैं साहब और रसूखदारों के फोन, जिसमें खास व्यवस्था कराने को कहा जाता। दरअसल इन दिनों लॉकडाउन है तो शराब के ठेके भी बंद हैं। ऐसे में शराब के शौकीन साहब और ऐसे रसूखदार लोग जिनकी पुलिस अधिकारियों से दोस्ती अच्छी है, वो इंस्पेक्टर, दारोगा और सिपाहियों को शराब की व्यवस्था कराने के लिए फोन कर रहे। शुक्रवार को ऐसे ही एक बड़े रसूखदार साहब का फोन वर्माजी के पास आया। बोले वर्मा कुछ कुछ व्यवस्था कराओ, क्या हमें भी नहीं मिलेगी? वर्मा जी बोले साहब देखते हैं। वर्मा जी ने सिपाही की तरफ देखा तो वहां खड़े दूसरे दारोगा जी बोले इसी व्यवस्था से हम भी बहुत परेशान हैं। यह कोरोना का नया रोना है।