Ram mandir : राम मंदिर के लिए हुआ आंदोलन आज भी हैं याद
पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन के साथ इतिहास लिखा जाना है ऐसे में नाथनगरी के लोगों को 90 के दशक में हुआ आंदोलन आज भी याद है।
बरेली, जेएनएन : राममंदिर निर्माण, मंदिर का ताला खोलने के लिए हुए आंदोलन में नाथनगरी से हजारों की संख्या में कारसेवक घरों से निकले थे। अब पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर भूमिपूजन के साथ इतिहास लिखा जाना है, ऐसे में नाथनगरी के लोगों को 90 के दशक में हुआ आंदोलन आज भी याद है।
मंदिर निर्माण का चंदा रात में गिनते थे
इंदिरा नगर निवासी अनुपम खंडेलवाल बताते हैं कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए उनके पिता स्व. जयकृष्ण खंडेलवाल को कोषाध्यक्ष बनाया गया था। चंदे के लिए एकत्र होने वाली धनराशि को पुलिस की डर से रात में गिना जाता था। उस समय तत्कालीन संघ चालक राजेन्द्र ङ्क्षसह उर्फ रज्जू भैया, मधुकर दत्तात्रय देवरस उर्फ बालासाहेब देवरस, डा मोहन भागवत का भी घर आना हुआ था। मंदिर निर्माण को लेकर अशोक ङ्क्षसघल दो बार, पूर्व सांसद विनय कटियार, प्रवीण तोगडिय़ा, स्वामी स्वरूपानंद, स्वामी परमानंद, स्वामी वासुदेवानंद भी घर आए। आज माता-पिता तो नहीं हैं, लेकिन मंदिर निर्माण को लेकर बहुत खुशी है।
मंदिर में सेवा का मिल चुका मौका
मंदिर निर्माण की तारीख घोषित होते ही गांधीपुरम निवासी सौरभ जैन व उनका परिवार न केवल खुश है, बल्कि अपने परिवार की पुरानी यादों को फोन के माध्यम से साझा भी कर रहा है। हेमलता जैन बताती हैं कि पति सुमन कुमार जैन सरकारी नौकरी के दौरान फैजाबाद में तैनात थे। राम मंदिर का ताला खुला था, तब से ही फैजाबाद में ही कार्यरत थे। उस समय अपने बेटे सौरभ जैन और अधिवक्ता वैभव जैन के साथ तो कभी महिलाओं के जत्थे के साथ उन्हें भी मंदिर में सेवा देने का मौका मिला था।
34 साल पहले घर पर ही मंदिर का ताला खुलवान की भरी गई थी हुंकार
सिविल लाइंस निवासी तत्कालीन विश्व ङ्क्षहदू परिषद के महानगर अध्यक्ष रहे वीरेंद्र कुमार बरतरिया बताते हैं कि मंदिर आंदोलन का शुरुआती दौरा था, 13 जनवरी 1986 को उनके आवास पर विहिप के तत्कालीन महामंत्री अशोक ङ्क्षसघल आए हुए थे। जहां उन्होंने मंदिर का ताला खुलवाने के लिए हुंकार भरी थी। इसके अलावा मंदिर निर्माण के लिए आडवाणी से बरेली जनजागरण को श्रीराम रथयात्रा लेकर बरेली से जा रहे थे। जिसमें उनके साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी थे। घर के पास रथ पहुंचा तो मोदी जी ने हाथ पकड़कर रथ पर चढ़ा लिया। जिससे कि वह श्रीराम के विग्रह की आरती कर सकें।
रोजा में एफसीआइ गोदाम को बनाया गया था जेल
भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कुंवर महाराज ङ्क्षसह बताते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम के मंदिर निर्माण को हुए आंदोलन में शामिल होने को जाते समय रोजा में गिरफ्तार कर वहां एफसीआइ गोदाम को जेल बनाया बंद किया गया था। आडवाणी जी के सहयोगी के रुप में पीएम नरेंद्र मोदी का आगमन हुआ था। वह रथ के साथ-साथ थे। ट्रेन से एक बार अयोध्या भी आंदोलन में शामिल होने का मौका मिला। पांच अगस्त को मंदिर निर्माण के लिए होने वाला भूमिपूजन हम सभी के लिए हर्ष की बात है।
350 किलोमीटर रेल लाइन किनारे चल पहुंचे थे अयोध्या
सरस्वती शिशु मंदिर के आचार्य दिनेश अवस्थी बताते हैं कि वह दो बार अयोध्या में कारसेवक के रूप में गए थे। एक बार तो रेल लाइन के किनारे-किनारे कारसेवकों के साथ 350 किमी की पैदल यात्रा करने के बाद अयोध्या पहुंचे थे। उन्होंने विवादित ढांचे को गिरते हुए देखा था। राममंदिर निर्माण का जुनून इस तरह सिर पर सवार था कि चार वर्ष मंदिर के नाम पर दाढ़ी तक नहीं बनवाई थी। बताया कि दो मित्रों के साथ 28 नवंबर 1992 को अयोध्या पहुंचे थे। अब मंदिर निर्माण होने से उनकी खुशी दोगुनी है। बुधवार को परिवार समेत घर में दीपावली मनाएंगे।
कारसेवक समझ बेटे को भेजा जेल
राममंदिर आंदोलन के समय विमला शुक्ला दुर्गावाहिनी और महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष हुआ करती थीं। आंदोलन के समय पुलिस ने परिवार के 13 सदस्यों को जेल भेजा था। गिरफ्तारी को लेकर सीओ से झड़प भी हुई थी। 14 दिनों तक जेल में रहने के बाद कोई उत्साह में कमी नहीं थी। नवाबगंज के पूर्व चेयरमैन राजेंद्र शुक्ला का पूरा परिवार मंदिर निर्माण के आंदोलन के दौरान पुलिस के जुर्म का शिकार हुआ था। नाबालिक बेटों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। उनके पुत्र अरङ्क्षवद शुक्ला और पवन शुक्ला भी जेल गए थे। उस वक्त पंकज की उम्र 15 वर्ष की थी लेकिन समय बीता और इस समय बेटा अपर जिला जज हैं। विमला बतातींं हैं कि बरेली में आयोजित विराट ङ्क्षहदू धर्म सम्मेलन को सुनने के बाद नया जोश पैदा हुआ था। जिसमें केंद्रीय मंत्री रहीं उमा भारती, डा. मुरली मनोहर जोशी और स्वामी परमहंस का सानिध्य मिला। आज वह सभी के साथ दीपावली की तरह से त्योहार मनाएंगी।